राम मंदिर की धर्म-ध्वजा पर पाकिस्तान की ड्रामेबाज़ी! अयोध्या के सांस्कृतिक सम्मान को ‘इस्लामोफोबिया’ बताकर UN तक पहुँची शिकायत
अयोध्या। राम नगरी अयोध्या में जब श्रीराम मंदिर के शिखर पर केसरिया धर्म-ध्वजा स्थापित की गई, तो यह देशभर में आस्था, संस्कृति और सदियों पुराने इंतज़ार के पूर्ण होने का प्रतीक बन गया। लेकिन इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक क्षण पर पाकिस्तान को फिर चिढ़ हो गई। अपने ही देश में हिंदुओं, ईसाइयों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में घोर विफल पाकिस्तान ने, अयोध्या में लगी धर्म ध्वजा को इस्लामोफोबिया और हेट स्पीच से जोड़ने की अजीबोगरीब कोशिश की। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह कहकर शोर मचाया कि भारत में मुसलमानों की विरासत खतरे में है—और इसी बहाने उसने संयुक्त राष्ट्र (UN) का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।
वास्तविकता यह है कि अयोध्या में ध्वजा-स्थापना हिंदू आस्था का एक पवित्र उत्सव है, जिसका किसी समुदाय के खिलाफ न तो कोई संदेश है और न ही कोई विरोध। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान अक्सर भारत की धार्मिक घटनाओं को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करता है, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर संवेदनशीलता भड़काई जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया उसके आंतरिक राजनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिरती विश्वसनीयता का परिणाम है। वहीं, भारत में सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान बरकरार है, और राम मंदिर की धर्म-ध्वजा भी इसी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है।
अयोध्या का संदेश साफ है—ध्वजा आस्था की है, राजनीति की नहीं।
लेकिन पाकिस्तान की ड्रामेबाज़ी फिर साबित कर रही है कि पड़ोसी मुल्क की राजनीति का केंद्र अब भी भारत की धार्मिक घटनाओं पर अनावश्यक टिप्पणी करना ही है।






