भारत–ब्राज़ील स्वास्थ्य साझेदारी का नया अध्याय

भारत–ब्राज़ील स्वास्थ्य साझेदारी का नया अध्याय

साओ पाउलो में तीसरा अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन,
पारंपरिक चिकित्सा के 40 वर्षों का उत्सव और वैश्विक नेतृत्व की घोषणा**

— “आयुर्वेद करुणा, संतुलन और समावेश का विज्ञान है”: आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा

— “पारंपरिक प्रणालियाँ वैश्विक विज्ञान में अपनी खास जगह बना रही हैं”: भारत के राजदूत दिनेश भाटिया

— आगामी WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन में भारत दिखाएगा दुनिया को अपनी ‘होलिस्टिक हेल्थ’ की शक्ति


ब्राज़ील के साओ पाउलो में 14–15 नवंबर 2025 को आयोजित तीसरे अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन ने भारत–ब्राज़ील स्वास्थ्य संबंधों में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ दिया। स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) और कोनायुर द्वारा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के सहयोग से आयोजित यह सम्मेलन न केवल ब्राज़ील में आयुर्वेद के 40 वर्ष पूरे होने का भव्य उत्सव था, बल्कि वैश्विक मंच पर आयुर्वेद की बढ़ती प्रतिष्ठा का भी सशक्त प्रमाण बना।सम्मेलन का मुख्य विषय था—

“आयुर्वेद में विविधता और समावेश: प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक प्राणी की देखभाल।”

इस विषय ने दुनिया को यह संदेश दिया कि आयुर्वेद सिर्फ चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन है—जो प्रकृति, शरीर, मन और आत्मा के संतुलन से संपूर्ण स्वास्थ्य का निर्माण करता है।


भारत–ब्राज़ील साझेदारी: 40 वर्षों की यात्रा, एक नया भविष्य

कार्यक्रम का उद्घाटन ब्राज़ील में भारत के राजदूत महामहिम दिनेश भाटिया ने किया। उन्होंने कहा:

“पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा की दिशा में भारत और ब्राज़ील की साझेदारी दुनिया के लिए एक उदाहरण है। वैज्ञानिक अनुसंधान और वैश्विक सहयोग से आयुर्वेद की प्रासंगिकता और भी सुदृढ़ हुई है।”

उन्होंने यह घोषणा भी की कि आयुर्वेद को आधिकारिक मान्यता देने वाला ब्राज़ील दक्षिण अमेरिका का पहला देश है, जो वैश्विक आयुर्वेद आंदोलन के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन की हालिया भारत यात्रा और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) जाना इस साझेदारी की मजबूती का प्रतीक बताया गया।


आयुष सचिव का प्रेरक संबोधन: “आयुर्वेद करुणा और संतुलन का दर्शन है”

मुख्य भाषण में आयुष मंत्रालय के सचिव डॉ. (वैद्य) राजेश कोटेचा ने कहा: “आयुर्वेद समावेशिता, करुणा और संतुलन का विज्ञान है। यह मानव और पर्यावरण के समग्र संबंधों को समझता है। यही इसकी वैश्विक स्वीकार्यता का कारण है।”

उन्होंने भारत–ब्राज़ील सहयोग की प्रगाढ़ता को दोहराया, जिसे—

  • द्विपक्षीय MoU,

  • संस्थागत साझेदारियाँ,

  • राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर,

  • और ब्राज़ीलियाई विश्वविद्यालयों

जैसे अनेक माध्यमों से मजबूत बनाया गया है। उन्होंने पिछले चार दशकों में ब्राज़ील में आयुर्वेद को बढ़ाने वाले चिकित्सकों और शिक्षकों की विशेष प्रशंसा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की “साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा” की वैश्विक प्रतिबद्धता को पुनर्पुष्ट किया।


SVCC की निदेशक डॉ. ज्योति किरण शुक्ला का संदेश

अपनी प्रेरक प्रस्तुति में उन्होंने कहा:

“भारत और ब्राज़ील के बीच स्वास्थ्य परंपराओं की साझा विरासत आयुर्वेद को एक सशक्त सांस्कृतिक सेतु बनाती है। SVCC और ICCR इस सांस्कृतिक-शैक्षणिक सेतु को और विस्तृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

उनके संबोधन ने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक तथा अकादमिक रिश्तों को और गहरी अर्थवत्ता दी।


वैज्ञानिक सत्र, विषयगत चर्चा और ऐतिहासिक निर्णय

सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए, जिनमें शामिल थे:

  • आयुर्वेद में विविधता और समावेशन,

  • प्राचीन ज्ञान की आधुनिक वैज्ञानिक व्याख्या,

  • ब्राज़ील में आयुर्वेद के व्यावसायिक विनियमन,

  • पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक भविष्य

इस अवसर पर आयोजकों ने यह ऐतिहासिक घोषणा की कि—

आयुर्वेद को अब ब्राज़ीलियाई व्यवसायों के वर्गीकरण में शामिल किया गया है।

यह आयुर्वेद के लिए दक्षिण अमेरिकी परिदृश्य में एक बड़ी संस्थागत मान्यता है।


महावाणिज्य दूत हंसराज सिंह वर्मा का संदेश

उन्होंने भारत–ब्राज़ील साझेदारी को "प्राकृतिक और निवारक स्वास्थ्य देखभाल" के क्षेत्र में दुनिया के लिए मॉडल बताया। उनके अनुसार: “आयुर्वेद ने आधुनिक चिकित्सा की सीमाओं के बीच संतुलित, सुरक्षित और प्राकृतिक उपचारों का मार्ग दुनिया को दिखाया है।”


ज्ञान की रोशनी से भरा दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय समारोह

सम्मेलन में कई प्रभावशाली व्याख्यान प्रस्तुत किए गए, जैसे:

  • “दैवव्यापाश्रय: आत्मा का उपचार — गंगा और पश्चिम के बीच एक सेतु”
    — पाउलो बास्तोस गोंजाल्विस

  • “पृथ्वी से आकाश तक: सूक्ष्म परिवर्तन की यात्रा”
    — वैनेसा सैंटेटी

  • “आयुर्वेद: एक उपचार पथ”
    — डॉ. रीता बीट्रिज टोकांटिंस

सम्मेलन का भव्य समापन एक गोलमेज चर्चा से हुआ: “ब्राज़ील में आयुर्वेद का भविष्य: अगले 40 वर्षों का निर्माण” जिसने आने वाले दशकों के लिए एक स्पष्ट और मज़बूत रोडमैप प्रस्तुत किया।


वैश्विक मंच की ओर—नई दिल्ली में WHO का वैश्विक शिखर सम्मेलन

सम्मेलन ने विश्व को यह संदेश दिया कि— आयुर्वेद अब वैश्विक स्वास्थ्य सेवा संवाद का केंद्र बन चुका है। इसके साथ ही आयोजन ने 17–19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में होने वाले WHO–आयुष मंत्रालय वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार किया, जहां आयुर्वेद की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति नई ऊँचाइयों तक पहुंचेगी।