तेजस्वी यादव का ‘बड़ा दांव’: जीविका दीदियों को मिलेगा सरकारी दर्जा, संविदा कर्मियों को स्थाई करने का ऐलान — बोले, “हर घर में होगी नौकरी, अब वादा नहीं हकीकत होगी”

पटना।
बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज़ है, और इसी बीच राजद नेता व पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने अब तक के सबसे बड़े चुनावी ऐलान के साथ विपक्ष और जनता दोनों को चौंका दिया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने कहा कि अगर उनकी सरकार बनती है तो ‘जीविका दीदियों’ को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और ₹30,000 मासिक वेतन दिया जाएगा। साथ ही, सभी संविदा कर्मियों को स्थाई नियुक्ति का वादा भी किया।
“हर घर में नौकरी” के बाद अब “हर दीदी सरकारी कर्मचारी” का वादा
तेजस्वी यादव ने कहा, “जब हम कहते हैं हर घर नौकरी, तो इसका मतलब ही है कि बिहार के हर परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो। जीविका दीदियाँ आज बिहार की रीढ़ हैं, जिन्होंने गांव-गांव तक आत्मनिर्भरता का संदेश दिया है। अब वक्त है उन्हें वो सम्मान देने का, जिसकी वे हकदार हैं।”
उन्होंने ऐलान किया कि जीविका दीदियों में से जो “सीएम दीदी” हैं, उन्हें स्थायी सरकारी नियुक्ति दी जाएगी। इतना ही नहीं, उनके सभी लोन माफ किए जाएंगे और आगे ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा — यानी अगले दो साल तक किसी भी ऋण पर ब्याज नहीं लगेगा।
“जीविका दीदियों को अब सम्मान की नौकरी, स्थायित्व और सुरक्षा”
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जीविका दीदियों की भूमिका बेहद अहम रही है। उन्होंने बताया, “जब मैं जनता से मिलने गया, तो जीविका दीदियों ने अपने संघर्ष की कहानी सुनाई। तभी मैंने तय किया कि अगर हमारी सरकार बनती है, तो उन्हें सिर्फ तालियाँ नहीं, असली हक़ दिया जाएगा।”
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बिहार में जीविका दीदियों की संख्या 10 लाख से अधिक है, जो ग्रामीण स्वावलंबन योजनाओं की आत्मा मानी जाती हैं। ऐसे में यह ऐलान चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है।
संविदा कर्मियों को स्थायित्व, अब नहीं रहेगा असुरक्षा का डर
तेजस्वी यादव ने संविदा कर्मियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को भी अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाया है। उन्होंने कहा, “संविदा कर्मी हमारी व्यवस्था की रीढ़ हैं। अगर हम सत्ता में आए, तो उन्हें स्थाई कर देंगे। अब किसी कर्मी को रोज़गार की असुरक्षा में नहीं जीना पड़ेगा।”
“महिलाओं से ली गई रिश्वत वापस कराएंगे” — तेजस्वी का सरकार पर वार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने मौजूदा सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “महिलाओं को 10,000 रुपये रिश्वत के तौर पर देने का काम हुआ, हमारी सरकार बनने पर वह पैसा वापस कराया जाएगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनका मकसद “राजनीतिक दिखावा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की नयी परिभाषा” लिखना है।
“यह चुनाव न्याय बनाम अन्याय का है” — तेजस्वी की भावुक अपील
तेजस्वी यादव ने जनता से सीधी अपील करते हुए कहा, “यह चुनाव किसी पार्टी का नहीं, बिहार के भविष्य का है। हमने जो कहा, वो किया — और अब जो कह रहे हैं, वो करके दिखाएंगे। हर परिवार में सरकारी नौकरी देना अब सपना नहीं, हकीकत होगी।”
राजनीतिक विश्लेषण: युवाओं और महिलाओं को साधने की कोशिश
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि तेजस्वी का यह ऐलान दो मोर्चों पर सीधा निशाना साधता है —
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पहला, महिला वोट बैंक, खासकर ग्रामीण बिहार की जीविका दीदियाँ।
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दूसरा, बेरोजगार युवा और संविदा कर्मी जो लंबे समय से स्थायित्व की मांग कर रहे हैं।
यह कदम चुनावी मैदान में राजद की रणनीति को “विकास + सम्मान” की दिशा में आगे बढ़ाता दिख रहा है।
तेजस्वी का ‘नई सोच वाला बिहार’ विज़न
तेजस्वी यादव का यह बयान केवल चुनावी घोषणा नहीं, बल्कि एक सामाजिक विज़न की झलक देता है — जहाँ महिला सशक्तिकरण, नौकरी और सम्मान को एक सूत्र में पिरोया गया है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जनता इस ‘नए बिहार’ के वादे को कितना दिल से अपनाती है, क्योंकि राजनीति में वादा बहुतों ने किया, लेकिन निभाया कुछ ही ने।