हजीरा की पैतृक जमीन पर दोहरी मार! एक ओर किसान बोले—‘हमारी विरासत पर डाका’, दूसरी ओर कंपनी ने दर्ज कराई FIR — 14 साल पुराने विवाद से सूरत में हलचल तेज!

हजीरा की पैतृक जमीन पर दोहरी मार! एक ओर किसान बोले—‘हमारी विरासत पर डाका’, दूसरी ओर कंपनी ने दर्ज कराई FIR — 14 साल पुराने विवाद से सूरत में हलचल तेज!
  • आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार सिंह, रजनीश कुमार चंद्रवंशी

सूरत ज़िले के हजीरा गाँव की पैतृक कृषि भूमि को लेकर चल रहा विवाद अब सबसे गंभीर मोड़ पर पहुँच गया है। एक तरफ किसानों ने अदालत में बिना नोटिस, बिना मुआवज़ा और बिना सहमति भूमि अधिग्रहण का आरोप लगाया है, जबकि दूसरी ओर आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील (AMNS) ने उन्हीं किसानों पर अवैध कब्ज़ा और करोड़ों की मांग के आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करा दी थी। यह tug-of-war अब गाँव से निकलकर कोर्टकचहरी पुलिस स्टेशन उद्योग जगत तक चर्चा का विषय बन चुका है।


किसानों की पुकार: सरकार-कंपनी की मिलीभगत से हमारी पैतृक जमीन हड़पी गई

उकाभाई नरसिंहभाई पटेल के उत्तराधिकारियों लक्ष्मीबेन, भानुबेन, गणपतभाई, रतिलाल और उषाबेन ने सूरत की अदालत में गंभीर आरोप लगाए हैं कि:

·       उनकी जमीन पर दशकों से उनका अबाध कब्ज़ा रहा है

आवासीय मकान, खेती-किसानी, टैक्स भुगतानसभी रिकॉर्ड आज भी उनके नाम हैं।

·       कभी कोई नोटिस, न धारा 135-D की सूचना

2010 के कथित अधिग्रहण के बारे में किसानों को एक भी सरकारी पत्र तक नहीं मिला

·       न मुआवज़ा, न वैकल्पिक भूमि, न कोई समझौता राशि

किसानों का कहना है कि कागजों में खेलकर उनकी विरासत पर कब्ज़ा दिखाया गया।

·       सभी सरकारी दस्तावेज़ किसानों के दावे को मजबूत करते हैं

  • पंचायत टैक्स बिल
  • मकान नंबर 2199 2201 के रिकॉर्ड
  • राशन कार्ड
  • आधार कार्ड
  • वोटर ID

इन सभी में किसानों का उसी disputed भूमि पर पता दर्ज है।


किसानों की चेतावनी: कब्ज़ा किया तो पूरा परिवार सड़क पर आ जाएगा

वादीगण ने अदालत से कहा: यदि जबरन कब्ज़ा लिया गया तो हमारे मकान टूटेंगे, खेती खत्म हो जाएगी और पूरा परिवार सड़क पर आकर भीख मांगने पर मजबूर हो जाएगा।इसी आधार पर उन्होंने स्थायी निषेधाज्ञा (Permanent Injunction) की मांग की है ताकि कंपनी बेदखल न कर सके।


दूसरी तरफ बड़ा आरोप! AMNS ने दर्ज कराई FIR — कहा, ‘जमीन 2010 में कानूनी रूप से ली, किसान अवैध कब्जाधारी

30 जुलाई 2024 को AMNS के भूमि विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक विकास कुमार ने हजीरा थाने में FIR दर्ज करवाई गई थी।

कंपनी का दावा:

  • विवादित भूमि पुराना सर्वे नं. 192/5/3, नया नं. 14/5/3 – कुल 708 वर्गमीटर
  • वर्ष 2010 में विधि अनुसार अधिग्रहित
  • सरकार को मुआवज़ा भुगतान किया जा चुका
  • अधिग्रहण को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वैध ठहराया जा चुका
  • इसके बावजूद किसान अवैध कब्ज़ा किए हुए हैं
  • कब्ज़ा छोड़ने के बदले कथित रूप से करोड़ों की मांग कर रहे हैं
  • भूमि पर जानबूझकर बाधाएँ खड़ी की जा रही हैं

FIR दर्ज की गई धाराएँ:

  • गुजरात भूमि हड़पना निषेध अधिनियम धारा 4(3) और 5(सी) जिनमें कठोर सजा और भारी जुर्माना दोनों की व्यवस्था है।

जिला कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर के आदेश पर FIR

सरकारी स्तर पर इस मामले को संगीन भूमि हड़पमाना गया था और तत्काल कार्रवाई की गई। जांच सहायक पुलिस आयुक्त को सौंपी गई थी।


गाँव में उबाल उद्योग जगत की नजर अदालत का फैसला बनेगा भविष्य की दिशा

हजीरा क्षेत्र में यह विवाद नया नहीं है, लेकिन इस बार मामला दोनों पक्षों के कानूनी कदम उठाने से बेहद गर्म हो गया है।

  • ग्रामीण समुदाय किसानों के पक्ष में खुलकर सामने आ रहा है
  • औद्योगिक क्षेत्र इस केस के निष्कर्ष को लेकर सतर्क है
  • पंचायतें भी इस विवाद को गहराई से देख रही हैं

आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड (AMNS) देश की अग्रणी औद्योगिक कंपनियों में से एक है, जो लाखों लोगों को रोजगार देती है और कॉर्पोरेट संचालन में अपनी सख्त नीतियों के लिए जानी जाती है। यह सिर्फ जमीन का विवाद नहींयह किसानों की विरासत बनाम औद्योगिक विस्तार की वह लड़ाई है जिसे देश लंबे समय से देखता आया है। यह जाँच का विषय है |



हजीरा की यह जंग सिर्फ 708 वर्गमीटर जमीन की नहींयह उस संघर्ष की कहानी है जिसमें किसान अपनी विरासत बचाना चाहते हैं और उद्योग अपने विस्तार का अधिकार। अब न्यायालय ही तय कर सकता है कि सच किसके साथ है।


 (Rv9 News का मकसद किसी व्यक्ति, संस्था या कंपनी की छवि को ठेस पहुँचाना नहीं है। हमारा लक्ष्य समाज में उत्पन्न समस्याओं और विवादों को उजागर करना और सत्य को सामने लाना है, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके और न्यायसंगत कार्रवाई हो।)