कवास में भूकंप से तेल टर्मिनल में लगी आग का सिमुलेशन—आपदा प्रबंधन एजेंसियों की शानदार संयुक्त मॉकड्रिल, त्वरित प्रतिक्रिया की मिशनरी तैयारी ने जीता सबका भरोसा!

कवास में भूकंप से तेल टर्मिनल में लगी आग का सिमुलेशन—आपदा प्रबंधन एजेंसियों की शानदार संयुक्त मॉकड्रिल, त्वरित प्रतिक्रिया की मिशनरी तैयारी ने जीता सबका भरोसा!
  • आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार सिंह, रजनीश कुमार चंद्रवंशी 

  • कवास में भूकंप से तेल टर्मिनल में लगी आग का हाई-प्रोफाइल मॉकड्रिल, प्रशासन से लेकर उद्योग जगत तक सब एकजुट

इच्छापुर, कवास के औद्योगिक क्षेत्र में आज सुबह असाधारण हलचल थी। सायरनों की तेज़ आवाज़, दमकल की भारी गाड़ियाँ, सुरक्षा दस्तों की दौड़–भाग और आसमान में उठता सघन धुआँ—मानो किसी बड़े हादसे का दृश्य हो। लेकिन यह असल घटना नहीं थी। यह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (GSDMA) और जिला क्राइसिस समूह द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक उच्च-स्तरीय मॉकड्रिल थी—जिसका मकसद था यह जांचना कि भविष्य में यदि भूकंप के कारण तेल या रासायनिक उद्योगों में बड़ी दुर्घटना घटित हो जाए, तो हमारी तैयारी कितनी मजबूत है।

यह मॉकड्रिल एक ऐसे परिदृश्य पर आधारित थी, जिसमें तेज़ भूकंप के झटकों से भारतीय तेल टर्मिनल में भारी तेल रिसाव होता है और देखते ही देखते एक भीषण आग भड़क उठती है।
दृश्य वास्तविकता से इतना मेल खा रहा था कि कई क्षणों के लिए लोगों को यह यकीन ही नहीं हुआ कि यह सिर्फ एक अभ्यास है।


सायरन बजते ही पूरी मशीनरी एक साथ सक्रिय—समन्वय, गति और रणनीति की मिसाल| भूकंप सिग्नल की घोषणा के साथ ही आपदा नियंत्रण की पटकथा शुरू हुई।

पहला चरण — भूकंप का चेतावनी संकेत

  • नियंत्रण कक्ष ने तुरंत रेड अलर्ट जारी किया।

  • उद्योग क्षेत्र के सभी कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया।

  • रेस्क्यू टीमों ने मौके पर पहुंचकर प्राथमिक आकलन शुरू किया।

दूसरा चरण — तेल रिसाव और आग लगने का सिमुलेशन

  • पाइपलाइन सिस्टम में तेल रिसाव की घोषणा होते ही दमकल विभाग को बुलाया गया।

  • महज़ कुछ ही मिनटों में आग फैलने का परिदृश्य तैयार किया गया।

  • आग की तीव्रता को तीन स्तरों में विभाजित किया गया, ताकि वास्तविक स्थिति में बहु-एजेंसी समन्वय परखा जा सके।

तीसरा चरण — संयुक्त बचाव अभियान

इस ऑपरेशन की सबसे खास बात थी एक साथ कई एजेंसियों का मिलकर काम करना

  • NDMA और GSDMA की त्वरित प्रतिक्रिया टीमें

  • जिला क्राइसिस समूह

  • दमकल, स्वास्थ्य, पुलिस, NDRF मॉडल रिस्पॉन्स यूनिट

  • इंडस्ट्रियल हेल्थ एंड सेफ्टी टीमें

  • एम्बुलेंस सेवाएँ, प्राथमिक चिकित्सक, और कमांड एंड कंट्रोल यूनिट

सभी दलों ने रियल–टाइम कम्युनिकेशन, ड्रोन मॉनिटरिंग, हज़मैट टीमों की तैनाती, और फायर–सप्रेशन टेक्निक का बेहतरीन प्रदर्शन किया।

 चौथा चरण — घायलों का निकास और उपचार

  • डमी घायल कर्मचारियों को स्ट्रेचर, दमकल कर्मियों और रेस्क्यू रज्जुओं के माध्यम से बाहर निकाला गया।

  • मेडिकल टीमों द्वारा तत्काल प्राथमिक उपचार और आगे के ट्रांसफर की प्रक्रिया को प्रदर्शित किया गया।

  • घटना स्थल के पास ही एक इमरजेंसी मेडिकल कैंप स्थापित किया गया।

इस दौरान वरिष्ठ अधिकारियों ने हर कार्रवाई का बारीकी से निरीक्षण किया—किस टीम की प्रतिक्रिया कितनी तेज़, किस स्तर पर कौन–सी बाधाएँ आती हैं, संकट प्रबंधन का प्रवाह कितना सुचारु है—सबका सटीक मूल्यांकन किया गया।


मॉकड्रिल सफल—कवास ने दिखाया कि आपदा से लड़ने की तैयारी सिर्फ कागज़ों पर नहीं, जमीन पर भी मजबूत है| इस व्यापक और उच्च-स्तरीय मॉकड्रिल ने यह सिद्ध कर दिया कि कवास व आसपास के औद्योगिक क्षेत्र आपदा के समय त्वरित, समन्वित और प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम हैं। अधिकारियों का स्पष्ट संदेश था—

“आपदा कब आएगी, यह हमारे हाथ में नहीं… लेकिन उससे सामना कैसे करना है, यह हमारी तैयारी पर निर्भर करता है।”

इस अभ्यास ने न केवल सरकारी और औद्योगिक तंत्र की शक्ति को सामने रखा बल्कि यह भी दर्शाया कि बड़े हादसों को रोका जा सकता है—अगर प्रतिक्रिया तेज़ हो, समन्वय सटीक हो और प्रशिक्षण नियमित हो। कवास में आयोजित यह मॉकड्रिल आपदा प्रबंधन की दिशा में एक बड़ी और प्रेरणादायी पहल बनकर उभरी है—जो आने वाले समय में न सिर्फ कर्मचारियों की सुरक्षा को मजबूत करेगी बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल साबित होगी।