घोसी, मऊ — जमीन विवाद में न्याय के लिए तरस रही मीना देवी, क्या राजस्व विभाग की लापरवाही या साजिश?

विशेष संवाददाता, बृजेन्द्र सिंह ,मऊ
पति और ससुर की विरासत पाने को सालों से लड़ रही एक महिला, लेकिन कानून और प्रशासन की निष्क्रियता उसे अब तक इंसाफ नहीं दिला सकी..."
ऐसी ही एक दर्दनाक कहानी है मीना देवी की, जो मऊ जिले के घोसी क्षेत्र में गाटा संख्या 252 की विरासत को लेकर न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। यह ज़मीन सरहरा मोहम्मदाबाद रोड पर स्थित है और छह भाइयों के नाम दर्ज है। लेकिन वर्तमान समय में सिर्फ दो भाई ही इस पूरी जमीन पर काबिज हैं — बाकी वारिसों को उनका हक अब तक नहीं मिला है।
हक के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही मीना देवी
मीना देवी का कहना है कि वह अपने पति और ससुर की संपत्ति में अपने हिस्से के लिए कई वर्षों से संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने कई बार पंचायत, लेखपाल, प्रशासनिक अधिकारियों और कोतवाली का दरवाजा खटखटाया, लेकिन परिणाम शून्य रहा।
23 जून को एक पंचायत बुलाई गई थी, जिसमें दोनों पक्ष मौजूद थे। लेकिन समाधान की बजाय यह पंचायत हिंसा में बदल गई। मीना देवी के बेटे पर लात-घूंसों और ईंट-पत्थर से हमला किया गया। वह किसी तरह जान बचाकर वहां से भागा और घोसी कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई।
लेखपाल की गलती या जानबूझकर रचा गया षड्यंत्र?
इस विवाद में नया मोड़ तब आया जब यह बात सामने आई कि पूर्व लेखपाल द्वारा गलत ढंग से 'फाट' (विभाजन) तैयार किया गया था, जिससे जमीन का बंटवारा स्पष्ट नहीं हो पाया और मामला और उलझ गया। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि यह गलती जानबूझकर और कुछ लोगों की मिलीभगत से की गई ताकि दो पक्ष विशेष को लाभ मिल सके।
जब जमीन सस्ती थी, तब कोई नहीं बोला — अब कीमत बढ़ी तो शुरू हुआ कब्जा
इस जमीन की कहानी भी बेहद चौंकाने वाली है। दो-तीन वर्ष पहले जब गाटा संख्या 252 पर कोई निर्माण नहीं हुआ था, उस समय एक भाई कैंसर पीड़ित थे और उनका परिवार इलाज के लिए मुंबई चला गया था। तभी पीछे से कुछ लोगों ने मिलकर बिना सूचना दिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
हालांकि पीड़ित पक्ष ने उस वक्त प्रशासन को इसकी जानकारी दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आज उस जमीन की कीमत लाखों में पहुंच चुकी है, और मीना देवी व उनके बेटे को अपने ही हक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
संख्या बल और सत्ता का दबाव
मीना देवी का कहना है कि उनके परिवार की संख्या कम है, और बाकी पक्ष बल, बाहुबल और स्थानीय प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं।
उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है, लेकिन उन्होंने ठान लिया है कि वह कानूनी लड़ाई अंत तक लड़ेंगी।
अब आस सिर्फ न्याय व्यवस्था और प्रशासन पर
यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि क्या अब राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करते हैं या यह मामला भी अन्य हजारों भूमि विवादों की तरह फाइलों में गुम हो जाएगा?
मीना देवी की ये लड़ाई सिर्फ एक महिला की नहीं है, यह सवाल है — क्या आज भी कमजोर को इंसाफ मिल सकता है?
#घोसी #मऊ #जमीन_विवाद #मीना_देवी #राजस्व_घोटाला #महिला_न्याय_युद्ध #UPNews #LandJustice #MeenaDeviFight