अपशिष्ट से ऊर्जा क्षेत्र में नई क्रांति: एमएनआरई ने जारी किए संशोधित दिशा-निर्देश, प्रदर्शन आधारित वित्तीय सहायता का मार्ग प्रशस्त

क्लीन एनर्जी, क्लियर गाइडलाइंस: अब अधिक पारदर्शिता और लचीलापन के साथ बढ़ेगी ऊर्जा उत्पादन की रफ्तार
नई दिल्ली। भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत अपशिष्ट से ऊर्जा (Waste to Energy - WtE) परियोजनाओं के लिए संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं। इन नए दिशा-निर्देशों का लक्ष्य प्रदर्शन-आधारित निगरानी, तेज वित्तीय सहायता वितरण, और क्लीन एनर्जी इनिशिएटिव्स को गति देना है।
क्या है खास इन संशोधनों में?
इन दिशा-निर्देशों की सबसे बड़ी विशेषता है कि अब केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) परियोजना के प्रदर्शन आधारित दो चरणों में जारी की जाएगी। पहले चरण में, सीएफए का 50% राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन की सहमति (Consent to Operate) प्राप्त करने और बैंक गारंटी प्रस्तुत करने के बाद जारी किया जाएगा।
दूसरे चरण में, शेष सीएफए तब जारी होगी, जब संयंत्र 80% या अधिक प्रदर्शन क्षमता हासिल करेगा।
यदि परियोजना 80% प्रदर्शन नहीं करती, तो भी आनुपातिक रूप से सीएफए का वितरण किया जाएगा। हालांकि, यदि प्लांट लोड फैक्टर (PLF) 50% से कम है, तो कोई CFA नहीं दिया जाएगा।
सरल प्रक्रिया, अधिक पारदर्शिता
-
अनुमोदन प्रक्रियाओं को सरल किया गया है।
-
कागजी कार्रवाई कम की गई है, जिससे विशेष रूप से MSME सेक्टर को लाभ होगा।
-
डेवलपर्स को अब परियोजना कमीशनिंग के 18 महीने बाद तक या सीएफए अनुमोदन की तारीख के 18 महीने के भीतर, जो भी बाद में हो, सीएफए क्लेम करने की छूट मिलेगी।
निरीक्षण में जवाबदेही और पारदर्शिता
-
निरीक्षण अब होगा संयुक्त रूप से — जिसमें शामिल होंगे:
-
राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा संस्थान (SSS-NIBE)
-
राज्य नोडल एजेंसियां (SNA)
-
बायोगैस प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (BTDC)
-
या एमएनआरई द्वारा सूचीबद्ध अन्य अधिकृत संस्थाएं
-
-
यदि डेवलपर अग्रिम सीएफए नहीं लेता, तो सिर्फ एक प्रदर्शन निरीक्षण पर्याप्त होगा — जिससे प्रक्रिया होगी तीव्र और सहज।
अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े भारत के लक्ष्य को मिलेगा बल
भारत में पराली, औद्योगिक अपशिष्ट और अन्य जैव अपशिष्ट की समस्या को देखते हुए, यह नीति टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देगी। यह पहल 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य से भी सामंजस्यपूर्ण है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
यह संशोधन उद्योगों के लिए साफ ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू करने के लिए एक अनुकूल माहौल बनाता है। सरकार द्वारा उठाया गया यह रणनीतिक कदम, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों के लिए ‘Ease of Doing Business’ को मजबूत करता है। अब डेवलपर को न केवल प्रदर्शन आधारित वित्तीय सहयोग मिलेगा, बल्कि परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता भी सुनिश्चित होगी।
एमएनआरई द्वारा जारी किए गए ये संशोधित दिशा-निर्देश, अपशिष्ट से ऊर्जा क्षेत्र में एक नई नीति क्रांति के रूप में देखे जा रहे हैं। ये न केवल स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को गति देंगे, बल्कि भारत को सतत विकास की दिशा में एक मजबूत आधार भी प्रदान करेंगे।