पुरी में भक्ति और उल्लास का महासंगम: भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का हुआ शुभारंभ

पुरी, ओडिशा | 27 जून 2025
विश्वविख्यात पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा का आज शुभारंभ हो गया है। श्रद्धा, भक्ति और उल्लास से सराबोर यह पर्व भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव है। जैसे ही भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के रथ मंदिर द्वार से बाहर आए, चारों दिशाओं में 'जय जगन्नाथ' के जयघोष गूंज उठे।
भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
पुरी के मुख्य मार्गों पर भक्तों का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। हाथों में पताका, मुख पर आस्था और हृदय में आनंद लिए हजारों श्रद्धालु भगवान के भव्य रथ को खींचने के लिए उमड़ पड़े। परंपरागत पोशाक में सजे भक्त, ढोल-नगाड़ों की मधुर धुन और मंत्रोच्चार से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया।
तीनों रथों की भव्यता
इस वर्ष भी भगवान जगन्नाथ के लिए निर्मित नंदिघोष, बलभद्र के तालध्वज और सुभद्रा के दर्पदलन रथ अपनी पारंपरिक भव्यता और शिल्प सौंदर्य से लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। रंग-बिरंगे कपड़े, पारंपरिक काष्ठ शिल्प और आकर्षक सजावट से सजे ये रथ पुरी की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक हैं।
आस्था और अध्यात्म का अनोखा संगम
रथ यात्रा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मिक मिलन और समर्पण का प्रतीक है। यह दिन उस परंपरा की याद दिलाता है, जब भगवान स्वयं भक्तों के बीच आते हैं और उन्हें अपने रथ पर सवार होकर दर्शन देते हैं। रथ को खींचना मानो स्वयं भगवान के चरणों को छूने जैसा सौभाग्य माना जाता है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
रथ यात्रा में लाखों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है, ड्रोन से निगरानी और मेडिकल सुविधा की भी पूरी व्यवस्था की गई है। भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष वालंटियर दल और सामाजिक संगठनों की भी सहायता ली जा रही है।
विश्वभर से पहुंचे श्रद्धालु
पुरी की यह रथ यात्रा केवल ओडिशा या भारत तक सीमित नहीं, बल्कि यह दुनियाभर में बसे वैष्णव श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ा उत्सव है। अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, मलेशिया, नेपाल जैसे देशों से हजारों श्रद्धालु पुरी पहुंच चुके हैं। उनके लिए यह यात्रा जीवन में एक बार मिलने वाला दिव्य अनुभव है।
धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उस समय की याद दिलाती है जब वे अपने भाई और बहन के साथ गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह यात्रा मानव जीवन की यात्रा, भक्ति की राह और भगवान से मिलने की लालसा का प्रतीक है।
अंत में…
पुरी की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक समरसता और अध्यात्मिक चेतना का भव्य उत्सव है। भगवान जगन्नाथ के रथ के साथ जैसे-जैसे ये पहिए आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे करोड़ों दिलों में आस्था की लौ और भी प्रज्वलित होती जाती है।
जय जगन्नाथ!