हादसे से पहले छपा ‘इत्तेफाक’?.Air India प्लेन क्रैश से कुछ घंटे पहले गुजरात के अखबार में छपा विचलित कर देने वाला विज्ञापन – देश स्तब्ध!

हादसे से पहले छपा ‘इत्तेफाक’?.Air India प्लेन क्रैश से कुछ घंटे पहले गुजरात के अखबार में छपा विचलित कर देने वाला विज्ञापन – देश स्तब्ध!

अहमदाबाद | 12 जून 2025

आज देश उस भयानक हादसे से जूझ रहा है, जिसने Air India की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI171 को आसमान से ज़मीन पर गिरा दिया। 242 यात्रियों में से सिर्फ एक ही यात्री की जान बच सकी — यह अपने आप में एक चमत्कार है, लेकिन उसी के साथ एक अजीब और डरावना इत्तेफाक भी चर्चा का विषय बन गया है।

 गुजरात के अखबार में छपा था विचलित कर देने वाला विज्ञापन

हादसे से ठीक कुछ घंटे पहले, गुजरात के एक प्रमुख दैनिक अखबार के पहले पन्ने पर एक ऐसा विज्ञापन छपा था, जिसने अब सभी को हैरत में डाल दिया है।

विज्ञापन में देखा जा सकता है –

एक Air India का विमान ऊंची इमारतों के बीच से बेहद नाटकीय अंदाज में उड़ता हुआ निकल रहा है।

यह दृश्य न केवल फिल्मी प्रतीत होता है, बल्कि उस दिन की त्रासदी के साथ मिलकर एक अनजाने भय और अशुभ संकेत की तरह भी देखा जा रहा है।


 क्या यह केवल संयोग था या कोई अलौकिक संदेह?

इस अजीब मेल ने सोशल मीडिया पर "इत्तेफाक या इशारा?" जैसी चर्चाओं को जन्म दे दिया है। कई लोग इसे महज एक कोरा संयोग बता रहे हैं, तो कुछ इसे दुर्भाग्य का पूर्वाभास मान रहे हैं।

मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं 'Retrospective Association' यानी बीती घटनाओं को वर्तमान त्रासदी से जोड़ने की प्रवृत्ति होती है।
लेकिन आमजन के मन में यह सवाल रह-रह कर उठ रहा है —

क्या यह विज्ञापन महज कल्पना थी, या किसी अनजाने भय का चित्रण?


 हादसे की जांच जारी, DGCA की रिपोर्ट का इंतजार

इधर, DGCA और एयर क्रैश इन्वेस्टिगेशन टीम घटनास्थल पर जांच में जुटी हुई है। यह विमान Boeing 787-8 Dreamliner था, जिसे उड़ान के कुछ ही मिनट बाद तकनीकी खराबी और टक्कर से गिरते हुए देखा गया।

 एक शोक, जो सवालों से घिरा है

जहां एक ओर देश इस भीषण हादसे पर शोक मना रहा है, वहीं दूसरी ओर यह विज्ञापन की रहस्यमयी उपस्थिति एक अलग ही चर्चा का केंद्र बन गई है।


कभी-कभी ज़िंदगी की सबसे डरावनी कहानियां किसी अखबार के कोने में छपी एक तस्वीर से शुरू हो जाती हैं।
और जब वही तस्वीर हकीकत बन जाए, तो उसे इत्तेफाक कहना मुश्किल हो जाता है।