वादी ही निकला हत्यारा! गोरखपुर पुलिस की सीनरी क्रिएशन व वैज्ञानिक जांच से हुआ चौंकाने वाला खुलासा

क्राइम रिपोर्टर, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
गोरखपुर पुलिस की सटीक रणनीति, सीन रिक्रिएशन और निष्पक्ष वैज्ञानिक जांच ने उस सच्चाई को उजागर कर दिया जिसे सुनकर पूरे गांव में सनसनी फैल गई। जिस बेटे ने पिता की हत्या के बाद खुद वादी बनकर गांव के दस निर्दोष लोगों को फंसाया था, आखिरकार वही निकला अपने पिता का कातिल!
यह चौंकाने वाला खुलासा एसएसपी राज करन नैय्यर ने पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस वार्ता में किया। उन्होंने बताया कि इस संवेदनशील मामले में एसपी नॉर्थ जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और सीओ चौरीचौरा अनुराग कुमार के नेतृत्व में निष्पक्ष जांच कर सच्चाई को उजागर किया गया।
मामला क्या था?
चौरीचौरा थाना क्षेत्र में 65 वर्षीय राजेन्द्र यादव की कुल्हाड़ी से बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद उनके ही पुत्र धर्मेन्द्र यादव ने वादी बनकर गांव के 10 नामजद और 4 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। मामला बेहद गंभीर था और गांव में तनाव फैलने लगा था।
सीन रिक्रिएशन और साइंटिफिक जांच ने खोले राज
गोरखपुर पुलिस ने सीनरी क्रिएशन और वैज्ञानिक विश्लेषण के जरिये यह निष्कर्ष निकाला कि हत्या घर के ही किसी सदस्य द्वारा की गई है। पुलिस ने जब धर्मेन्द्र यादव से सख्ती से पूछताछ की, तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
धर्मेन्द्र ने बताया कि उसकी पत्नी की तबीयत लंबे समय से खराब थी और वह घर पर ही रहता था। पिता राजेन्द्र यादव बार-बार बाहर जाकर काम करने का दबाव डालते और ताने मारते थे। इसी बात से नाराज होकर उसने एक दिन कुल्हाड़ी से वार कर अपने ही पिता की हत्या कर दी। इसके बाद खुद ही गांव के 10 लोगों पर झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया, जिससे असली गुनाह पर पर्दा पड़ जाए।
निर्दोषों को दिलाई न्याय की सांस
गोरखपुर पुलिस की संवेदनशीलता और बारीकी से की गई जांच की वजह से दस निर्दोष लोग जेल जाने से बच गए। समाज में पुलिस की इस कार्यशैली की हर ओर सराहना हो रही है। पुलिस की पारदर्शी जांच न केवल दोषी को बेनकाब करती है, बल्कि निर्दोषों को न्याय भी दिलाती है।
टीमवर्क की मिसाल बनी पुलिस
इस सनसनीखेज हत्या का खुलासा करने में थाना प्रभारी वेद प्रकाश शर्मा, उप निरीक्षक कृष्ण कुमार सिंह, उप निरीक्षक अनीस सिंह, उप निरीक्षक रजनीश मिश्रा, उप निरीक्षक अभिषेक यादव, कॉन्स्टेबल विकास सिंह, हेमंत और महिला कांस्टेबल शाहीन परवीन का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इस खुलासे ने न केवल गुनहगार को सजा दिलाने का रास्ता खोला, बल्कि पुलिस की निष्पक्षता, तकनीकी दक्षता और कर्तव्यनिष्ठा की एक मिसाल भी पेश की है।
“अपराध कितना भी शातिर क्यों न हो, सच और न्याय की राह में पुलिस की पकड़ से बच नहीं सकता।”