महिला की इच्छा सर्वोपरि – बॉम्बे हाईकोर्ट ने 28 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की दी अनुमति

महिला की इच्छा सर्वोपरि – बॉम्बे हाईकोर्ट ने 28 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की दी अनुमति

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिला की शारीरिक स्वायत्तता को प्राथमिकता देते हुए एक 18 वर्षीय युवती को 28 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति दे दी है। यह गर्भ कथित यौन उत्पीड़न के कारण ठहर गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी महिला को अपने प्रजनन संबंधी विकल्प चुनने का पूरा अधिकार है और उसके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए।

हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और निला गोखले की बेंच ने इस फैसले में कहा,
"महिला का अपने शरीर पर पूर्ण अधिकार है, और उसकी स्वायत्तता और मानसिक शांति को ध्यान में रखते हुए गर्भपात की अनुमति दी जाती है।"

अस्पताल को दिए विशेष निर्देश

अदालत ने मुंबई के जेजे अस्पताल को निर्देश दिया कि गर्भपात के बाद उचित देखभाल और परामर्श उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा, गर्भस्थ शिशु के डीएनए को संरक्षित करने का आदेश भी दिया गया, क्योंकि यह मामला आपराधिक जांच से जुड़ा हुआ है।

क्या था मामला?

याचिकाकर्ता और 21 वर्षीय आरोपी के बीच प्रेम संबंध था। आरोपी, पीड़िता के भाई का दोस्त भी था और उसने शादी का वादा किया था। जब युवती की गर्भावस्था का पता चला, तो परिवार ने मेडिकल जांच करवाई, जिसके बाद युवक के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया।

फैसले के अहम बिंदु:

✅ महिला की प्रजनन स्वतंत्रता को सर्वोच्च प्राथमिकता
28 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति
✅ गर्भपात के बाद अस्पताल में उचित देखभाल और परामर्श का आदेश
गर्भस्थ शिशु का डीएनए संरक्षित करने का निर्देश
✅ यदि पीड़िता शिशु को गोद देने का निर्णय लेती हैं, तो सरकार कानूनी प्रक्रिया को सुगम बनाएगी

आगे क्या?

पीड़िता पहले से ही अस्पताल में भर्ती थी और वहीं गर्भपात करवाना चाहती थी। आर्थिक तंगी के कारण उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उसे संपूर्ण चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।

क्या यह फैसला महिलाओं के अधिकारों को और मजबूती देगा? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!