प्रो. एस. पी. सिंह बघेल ने आगरा में 'ईज़ ऑफ लिविंग' पंचायत सम्मेलन का उद्घाटन किया
आगरा, 19 नवंबर 2024: पंचायती राज मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश शासन के पंचायती राज विभाग के सहयोग से ‘ईज़ ऑफ लिविंग: जमीनी स्तर पर सेवा प्रदायगी को बढ़ावा देना’ विषय पर पंचायत सम्मेलन का 19 नवंबर 2024 को आगरा, उत्तर प्रदेश के ताज होटल और कन्वेंशन सेंटर में आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर, पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज, उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव (पंचायती राज) श्री नरेंद्र भूषण, और पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर भी उपस्थित रहे।
इस सम्मेलन में आगरा जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मंजू भदौरिया, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती बबीता चौहान एवं माननीय विधायकगण सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। लगभग 400 से ज्यादा प्रतिभागियों ने पंचायत सम्मेलन में भाग लिया। यह सम्मेलन सात राज्यों – असम, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, नागालैंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड – के प्रतिभागियों को एक साथ लाकर भारत के बहुस्तरीय ग्रामीण प्रशासन पर गहन चर्चा का मंच बना।
उद्घाटन भाषण में प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल ने कहा, “हमारी पंचायतें केवल प्रशासनिक इकाई नहीं हैं, बल्कि बदलाव के उत्प्रेरक हैं। डिजिटल सशक्तिकरण और नवाचारी सेवा प्रदायगी के माध्यम से हम ग्रामीण विकास को एक समावेशी और सहभागी यात्रा के रूप में फिर से परिभाषित कर रहे हैं।” केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि महिला नेतृत्व को कमजोर करने वाली 'प्रधानपति / सरपंचपति' की प्रथा को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने पंचायतों से इ-ग्राम स्वराज पोर्टल और मेरी पंचायत ऐप के माध्यम से लोगों को मौसम पूर्वानुमान की जानकारी उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि बेहतर सेवा वितरण और सुगम जीवनयापन से ग्रामीण पलायन रुकेगा। उन्होंने कहा, "गांवों के स्मार्ट बनने से लोगों का जीवनस्तर सुधरेगा।" मंत्री ने पंचायतों से अपने स्वयं के राजस्व संसाधन (OSR) जुटाने और अन्य राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीख लेने का आग्रह किया। प्रोफेसर बघेल ने बताया कि गांवों में बहुउद्देशीय सामुदायिक भवनों के निर्माण से न केवल लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि पंचायतों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने सभी ग्राम पंचायतों से नागरिक अधिकार-पत्र (सिटीजन चार्टर) का निर्माण कर उसे पूर्ण पारदर्शिता और दक्षता के साथ लागू करने का आह्वान किया।
केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल ने पंचायत प्रतिनिधियों से सरकारी योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। विशेष रूप से उन्होंने आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रभावी सेवा वितरण और सुगम जीवनयापन से न केवल लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी, बल्कि जनप्रतिनिधियों की राजनैतिक सफलता भी सुनिश्चित होगी। विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर प्रोफेसर बघेल ने माननीय प्रधानमंत्री जी के विजन की सराहना करते हुए कहा कि स्वच्छता अभियान ने भारत में महिलाओं के सम्मान की रक्षा के साथ-साथ शासन व्यवस्था में स्वास्थ्य और स्वच्छता को प्राथमिकता दी है।
उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा, “उत्तर प्रदेश प्रत्येक पंचायत को कुशल, पारदर्शी और उत्तरदायी सेवाओं का केंद्र बनाने की दिशा में प्रतिबद्ध है। यह सम्मेलन इस दृष्टि को साकार करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि ग्राम सचिवालय की व्यवस्था और इ-ग्राम स्वराज जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने ग्रामीण प्रशासन को सशक्त बनाया है। विश्व शौचालय दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 19 नवम्बर से 10 दिसंबर तक "शौचालय संवारें, जीवन निहारें" अभियान चलाया जाएगा।
सचिव, पंचायती राज मंत्रालय श्री विवेक भारद्वाज ने तकनीकी एकीकरण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “डिजिटल परिवर्तन केवल तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह शासन और नागरिकों के बीच की खाई को पाटने का माध्यम है। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर ग्रामीण निवासी को सुलभ और प्रभावी सेवाओं के माध्यम से जीवन में सरलता का अनुभव हो।” श्री विवेक भारद्वाज ने बताया कि विगत दस वर्षों में माननीय प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप ग्रामीण भारत में 'ईज़ ऑफ लिविंग' की दिशा में ट्रांसफॉर्मेटिव कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल सेवाओं ने लोगों को लंबी कतारों से मुक्ति दिलाई है। श्री विवेक भारद्वाज ने एक व्यापक अध्ययन का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश में विकेन्द्रीकरण की तीव्र एवं सफल प्रगति की सराहना की। उन्होंने राज्य में पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) के सर्वाधिक प्रभावी क्रियान्वयन को भी महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव (पंचायती राज) श्री नरेंद्र भूषण, पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर और आगरा जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मंजू भदौरिया ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में पांच उत्कृष्ट पंचायत सहायकों – श्रीमती अनामिका गौतम (जौनपुर), श्री धर्मेंद्र कुमार (आजमगढ़), श्रीमती रीतू चौधरी (गोरखपुर), श्रीमती कोमल मिश्र (हरदोई) और श्री महफूज़ आलम (बाराबंकी) को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
इस सम्मेलन ने संविधान के अनुच्छेद 243जी के तहत पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया, ताकि कृषि से लेकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसे क्षेत्रों में उनकी भूमिका को मजबूत किया जा सके। सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण इसका भाषाई समावेशन था। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित भाषिणी प्लेटफॉर्म का उपयोग कर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण 11 भाषाओं में किया गया, जिससे शासन संवाद को पूरे देश में अधिक समावेशी और सुलभ बनाया गया।
आगरा पंचायत सम्मेलन संयोगवश विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर आयोजित हुआ; वर्ल्ड टॉयलेट डे-2024 का विषय “शौचालय: शांति का स्थान” (Toilets – A Place for Peace) है। इस अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता संबंधी चुनौतियों और पंचायतों की भूमिका पर गहन चर्चा हुई। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), वाधवानी फाउंडेशन और यूनिसेफ ने सम्मेलन में नवीनतम डिजिटल समाधानों जैसे सर्विस प्लस प्लेटफॉर्म और रैपिडप्रो जैसे डिजिटल सार्वजनिक साधनों का प्रदर्शन किया।
पंचायत सम्मेलन ने जमीनी स्तर पर डिजिटल सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता दोहराई। यह आयोजन हर पंचायत को एक उत्तरदायी, कुशल और पारदर्शी सेवा केंद्र में बदलने के व्यापक दृष्टिकोण पर केंद्रित था।
आगरा पंचायत सम्मेलन भारत की ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ग्रामीण विकास को एक केंद्रीय आधार मानते हुए प्रौद्योगिकी-प्रधान और नागरिक केंद्रित शासन का प्रतीक बनकर उभरा।