ब्यूरो रिपोर्ट – सुनील विष्णु चिलप, Rv9 News, महाराष्ट्र
दिल्ली सरकार के रैन बसेरों और आश्रय गृह मॉडल का शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त महाराष्ट्र की राज्य स्तरीय आश्रय निगरानी समिति ने दौरा किया। पूर्व आईएएस उज्ज्वल उके की अध्यक्षता वाली टीम ने इनका दौरा करने के बाद कहा कि वह इसी तरह के रैन बसेरों को लेकर महाराष्ट्र सरकार को प्रस्ताव देंगे। समिति ने पहले दिन निजामुद्दीन में एक महिला आश्रय कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया, जहां उन्हें कई सफलता की कहानियां भी मिलीं। उज्ज्वल उके ने कहा कि मुझे वास्तव में यह पसंद आया है कि किस तरह डूसिब (दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड) रैन बसेरों का संचालन कर रहा है। दिल्ली सरकार अधिकांश राज्यों की तुलना में बहुत बेहतर काम कर रहे हैं। हम वास्तव में डूसिब द्वारा बनाए गए अर्ध-पक्के आश्रयों से प्रभावित हैं। हम महाराष्ट्र सरकार से दिल्ली मॉडल पर पोर्टा केबिन वाले रैन बसेरे का प्रस्ताव रखेंगे।
दौरा करने आई समिति ने डूसिब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के. महेश के साथ बैठक भी की। इसमें बताया गया कि डूसिब किस तरह काम करता है। उसकी स्थापना का मकसद क्या है। बैठक में तय हुआ है कि दिल्ली की तर्ज पर रैन बसेरे और आश्रय गृह मॉडल तैयार करने के लिए डूसिब महाराष्ट्र के एसएलएसएमसी और एनयूएलएम का सहयोग भी करेगा। बताते चलें कि मुंबई में 12 शेल्टर हैं, जो 300-350 लोगों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। महाराष्ट्र में 76 शेल्टर हैं, जो 2000 बेघर लोगों की सेवा करते हैं। इसके विपरीत दिल्ली में 195 आश्रयों का नेटवर्क है, जिसके माध्यम से लगभग 17,000 बेघर लोगों की ज़रूरत पूरा होती है। दिल्ली की सर्दियों में अतिरिक्त 150 तंबू आधारित आश्रयों के माध्यम से लगभग 23,000 बेघर लोगों की ज़रूरत को पूरा किया जाता है।