आजमगढ़ – केंद्र सरकार जहां 1 साल के लिए मुफ्त राशन की व्यवस्था का ऐलान कर रखी हैं और राज्य सरकार उस योजना के क्रियान्वयन में भी लग गयी है परन्तु किसान अन्न उपजाए तो कैसे और समस्या बताये तो कैसे | यह सवाल उस वक्त खड़ा हो जाता है जब किसान अपनी बात लोकतान्त्रिक परम्परा से कहते कहते थक हर कर क़ानून की भाषा में गैर कानूनी मानी गयी अवस्था आत्महत्या के लिए विवश हो जाता हैं | बतादें कि देवरांचाल के बाढ़ प्रभावित किसानों की लोकतान्त्रिक आवाज़ न तो सरकार, न तो जनप्रतिनिधि और न हीं जिले आला अधिकारिओं के कानों तक अभी पहुँच पा रहा हैं जबकि किसान विगत 29 दिनों से महूला गढ़वल बंधे पर अपनी व्यथा सुनाने के लिए बैठे हैं | अब देखना हैं कि पीड़ित किसान की लोकतान्त्रिक आवाज़ कब तक जिम्मेदार लोगों को सुनाई देता हैं और उनकी समस्या का समाधान हो पाता हैं |