नमन: महुला के फौजी की इलाज के दौरान मौत, गोरखपुर से ताबूत में लिपटा आया शव, नम हुई आंखें
वर्ष 2011 में एसएसबी में हुआ था चयन, फिलवक्त वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में तैनात थे|
“हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया,
वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया.”
जय हिन्द
संवाददाता- मनोज कुमार सिंह, आजमगढ़
“शहीद का अंतिम संस्कार : भाई शैलेश यादव ने दी शहीद को मुखाग्नि, घाघरा नदी के मुक्तिधाम दोहरीघाट पर बड़ी संख्या में जुटे लोग”
आजमगढ़| देश की सेवा में डटे रहने के दौरान गंभीर बीमारी की चपेट में आए एक फौजी की इलाज के दौरान मौत हो गई है। मृतक फौजी जगत नरायन यादव उम्र 31 साल पिता स्व. सूर्यभान यादव रौनापार थाना क्षेत्र के दाम महुला गांव का रहने वाला है। वर्ष 2011 में उसका चयन शस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में हुआ था तथा फिलवक्त वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में तैनात था। जगत नरायन यादव गंभीर बीमारी की चपेट में आया तो सेना द्वारा उसका इलाज कराया जा रहा था।
जानकारी के अनुसार जगत नरायन यादव लम्बे समय से बीमार चल रहा थे, जहा 12 मार्च की रात मौत हो गई।
सोमवार को फ़ौजी वाहन से उसका शव पैतृक गांव दाम महुला लाया गया। शव के दरवाजे पर पहुंचते ही परिजनो के क्रंदन चित्कार से माहौल गमगीन हो गया था। मृतक के मां प्रतापी देवी, पत्नी रागिनी देवी व परिवार का रो रोकर बुरा हाल हो गया था। शहीद फौजी के शव आने की खबर सुन आस पास के गांवों के सैकड़ो लोगों की भींड़ उसके दरवाजे पर उमड़ गई थी।
9 मई 2017 को हुई थी शादी
फौजी जगत नरायन यादव की शादी 9 मई 2017 को देवरिया जिले के रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के हरपुर बिन्दौर गांव में हुई थी। फौजी के दो संतान –प्रांजल 5 वर्षीय व जान्हवी 3 वर्षीय है| उसकी पत्नी रागिनी देवी पति की मौत के बाद से ही बेसुध हो गई है। घटना की खबर मिलते ही उसके ससुराल में भी मातमी सन्नाटा पसर गया है।
शव के साथ आए थे एसएसबी के जवान
फौजी के शव के साथ आये एसएसबी के जवानों ने भी उसके दरवाजे तक आए तथा उसके ताबूत पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान जवानों द्वारा गार्ड आॅफ आॅनर भी दिया गया। इसके अलावे सैकड़ो की तादात में ग्रामीण उसके दरवाजे पर मौजूद थे।
मुक्तिधाम, दोहरीघाट पर किया गया अंतिम संस्कार
शहीद फौजी का अंतिम संस्कार मऊ जनपद के दोहरीघाट स्थित मुक्तिधाम पर राजकीय सम्मान के साथा किया गया। इसके पहले उसके दरवाजे से निकली शवयात्रा में सैकड़ो की तादात में ग्रामीण शामिल थे। गांव की महिलाएं व पुरुष भी जंबाज फौजी के अंतिम दर्शन के लिए आये थे तथा भींगे पलकों से जगत नरायन यादव को अंतिम विदाई दी। घाट पर बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी के बीच शहीद के भाई शैलेश यादव ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।
एक सैनिक ने क्या खूब कहा है.
किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ,
मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ,
मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,
मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ।
जय हिन्द