उपराष्ट्रपति ने कहा- कम उपयोग, पुन:उपयोग और पुन:चक्रण के तीन आर के माध्यम से पारंपरिक जल संचयन संरचनाओं को फिर से जीवंत करें
उपराष्ट्रपति ने जनप्रतिनिधियों से जल संरक्षण को प्राथमिकता देने और उदाहरण प्रस्तुत करने का आह्वान किया
प्रकृति का संरक्षण भारत के सभ्यतागत लोकाचार का एक अभिन्न अंग है- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने चौथे राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रदान किए
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज सभी नागरिकों से जल संरक्षण को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने की अपील की ताकि इसे जन आंदोलन की भावना के माध्यम से जल आंदोलन के रूप में गति दी जा सके।
उपराष्ट्रपति ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों और मौलिक कर्तव्यों जैसे संवैधानिक प्रावधानों पर ध्यान आकर्षित करने के साथ-साथ जल और पर्यावरण के संरक्षण पर जोर देते हुए इसके परिवर्तनकारी प्रभावों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन जैसी सरकारी पहलों का आम लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण रूप से प्रभाव पड़ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जल संरक्षण हमेशा से भारत की सभ्यतागत प्रकृति का एक अभिन्न पहलू रहा है और यह प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह प्रकृति के उपहारों का बुद्धिमता से उपयोग सुनिश्चित करे। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग हमारी इष्टतम आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए।
इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय जल शक्ति और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल, केंद्रीय जल शक्ति और जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री बिश्वेश्वर टुडू, जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार और जल शक्ति मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।