- समाधन दिवस से आम जनता को न्याय न मिलने से उठ रहा विश्वास
- सक्षम अधिकारी स्पष्ट निर्णय देने में बना रहे है दूरी
- फरियादी तहसील से थाना का न्याय के लिए लगा रहा है चक्कर
- समाधान दिवस कुल आये 78 मामलों में मात्र पांच का हुआ निस्तारण
गोलाबाजार, गोरखपुर । शासन द्वारा गरीब पीड़ितों असहायों के लिए त्वरित न्याय की मंशा से चलाए जा रहे तहसील व थानों पर आयोजित होने वाले सम्पूर्ण समाधान दिवस का हाल पूरी तरह बदहाल हो चुका है।आम पीड़ितों को अब शासन के मंशानुरूप न्याय पाना टेढ़ी खीर बन गयी है। शनिवार को रोस्टर के अनुसार गोला तहसील सभागार में सम्पूर्ण समाधान का आयोजन एस डी एम गोला रोहित कुमार मौर्य की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
तहसीलदार बृजमोहन शुक्ला नायब तहसीलदार राकेश शुक्ला ,प्रकाश सिंह रमाकांत चौहान घीसम प्रसाद आदि ने फरियादियो की पीड़ा को सुना और निस्तारण कराने का भरपूर प्रयास किया। कुछ फरियादियो के मामले का समाधान हुआ शेष मामलों को संबंधित अधिकारियों को गुणवत्ता परक समाधान करा कर रिपोर्ट प्रेषित करने को आदेशित किया गया।
इस समाधान दिवस पर ग्राम बेलपार निवासी उदयभान ने समाधान दिवस पर पहुच कर एक आवेदन पत्र समाधान दिवस अधिकारी को देते हुए कहा कि हमारे गांव में बिजली जलती है बिल कोई निकालने नही जाता है ।बिल न निकलने के कारण बिजली का धन राशि उपभोक्ता बिजली बिभाग को अदा नही कर पा रहे है ।समय से अगर बिल निकल जाता तो उपभोक्ता अपने बिजली बिल का भुगतान बिभाग को कर देते ।एस डी एम गोला ने एस डी ओ बिजली बिभाग को बुलाकर समस्या का समाधान कराने को कहा। कास्त मिश्रौली निवासी परशुराम शर्मा ने एक आवेदन पत्र देते हुए कहा कि हमारे गांव में ग्राम सभा की भूमि आराजी नम्बर 33 मि नवीन परती पर गांव के ही कुछ दबंगो ने जबरदस्ती कब्जा दखल कर लिया है ।उक्त भूमि पर हुए अतिक्रमण को खाली कराया जाय। एस डी एम गोला ने तहसीलदार गोला को जांच कर कार्यवाही करने के लिए आदेश दिया। सूत्रों का कहना है जिस उद्देश्य से शासन ने समाधान दिवस का आयोजन तहसील व थानों पर आयोजित कराया था ।वास्तव में उस उद्देश्य की पूर्ति सक्षम अधिकारियों द्वारा न किये जाने से पूरी तरह हाथी का सफेद दांत बन कर रह गया है।जिसका मुख्य कारण अधिकारियों की उदासीनता परिलक्षित होते दिख रहा है।वही समाधान करने की नीयत अगर किसी अधिकारी ने जताया तो ऊपर का दबाव बीच का रोड़ा बन कर आ पहुचता है ।और अधिकारी मामले को दाएं बाए कर अपना कोरम पूरा कर शासन को रिपोर्ट प्रेषित कर देते है।अधिकारियों का स्पष्ट कहना होता है कि किसी के निजी संपत्ति में हम हस्तक्षेपनही करेंगे ।कौन कोर्ट में खड़ा होकर जबाब देगा।सरकारी सम्पत्ति पर दबंगो द्वारा किये गए अबैध कब्जे को अधिकार होते हुएभी खाली नही करा सकते क्योंकि राजनीति का कोप भाजन बनना पड़ेगा। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले के विरुद्ध मात्र रिपोर्ट लगा कर न्यायालय में मुकदमा आरम्भ हो जाएगा । यह बस्तुस्थिति प्रशासनिक अधिकारियों का है।आज भी जिसकी लाठी उसी की भैंस वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ बना पड़ा है। न्याय के लिए बास्तव में पीड़ित ब्यक्ति दर दर का ठोकर खाने को मजबूर बना हुआ है ।अब तो धीरे धीरे समाधान दिवस की कार्यप्रणाली देख कर फरियादियो की संख्या में लगातार गिरावट आ चुकी है।लोग धीरे धीरे कतराते नजर आ रहे है।
इस समाधान दिवस पर राजस्व पुलिस बिद्युत नलकूप खाद्यान के अधिकांश मामले आये।