भारत की प्राण भाषा है हिन्दी: प्रो. चितरंजन मिश्र

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

हिंदी दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

तहसील संवाददाता- नरसिंह यादव, बांसगांव, गोरखपुर


राधिका महाविद्यालय करवल मझगांवा में हिंदी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष व वर्धा विश्वविद्यालय पूर्व प्रति कुलपति प्रो. चितरंजन मिश्र ने कहा भारत की गौरवशाली यात्रा का वाहक हिंदी रही है। हिंदी लोक की भाषा है। स्वतंत्रता आंदोलनों में हिंदी ने राष्ट्रवाद का अलख जगाने का काम किया था। समूहों को एक सूत्र में पिरोने में हिंदी कारगर है। हिंदी साहित्यिक संपदा के दृष्टिकोण से संपन्न है। बहुसंख्यकों की भाषा होना इसे और मजबूती प्रदान करती है। हिंदी राजभाषा होने के साथ-साथ भारत की प्राण भाषा भी है। बतौर विशिष्ट वक्ता प्राचीन इतिहास विभाग के आचार्य व पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राजवंत राव ने कहा भाषाएं संवाद से ही समृद्ध होती हैं। हिंदी हमारे पारम्‍परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्‍यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। निदेशक पुनीत सिंह ने कहा अंग्रेजियत के इस युग में हिंदी का संरक्षण व संवर्धन आवश्यक है। प्राचार्य डा. संतोष कुमार सिंह ने कहा वर्तमान युग हिंदी के प्रयोग का स्वर्णिम युग है। राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता डा. ओमप्रकाश सिंह ने हिंदी के राजभाषा के रूप में संवैधानिक दर्जे पर प्रकाश डाला। संचालन रत्नेशधर दुबे व आभार छठेंद्र त्रिपाठी ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर मेवालाल मौर्य, डा. उमा सिन्हा, मुकेश कुमार यादव, अमन श्रीवास्तव, जयश्री तिवारी, वंदना जायसवाल, शशिप्रभा राय, निरूपमा सिंह, ब्रजेश गुप्ता, रिया नायक, श्वेता नायक आदि उपस्थित थे।