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बिसेन अमेठी के साथ
ब्यूरो रिपोर्ट- प्रेम कुमार शुक्ल, अमेठी
कुँवर रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया जी अपने आवास पर जनता की बारी-बारी से समस्या सुन रहे थे, और थोड़ा जल्दी मे भी थे उनको लखनऊ निकलना था, सबकी समस्या सुनने के बाद जैसे ही उठकर चलने लगे एक किनारे से एक लड़की आवाज देती है भइया सुनिये मुझे बहुत जरूरी काम है आपसे, मेरी मददत कर दीजिए, राजा भइया जी रुक जाते हैं और बोलते हैं बताओ बेटा, भीड़ बहुत थी लड़की अपनी बात कहने में संकोच कर रही थी और आँख में आँसू थे, किसी तरह उसने अपनी बात को रखा और बोली भइया B T C कर रही हूँ.. फीस नही जमा कर पाई हूँ कालेज से निकाल दिये है यह सुनते ही मा. राजा भइया जी कालेज के मैनेजर को फोन करते हैं और बोलते हैं लड़की का दाखिला लो मैं फीस भिजवा रहा हूँ, आज के बाद इस लड़की से फीस नही माँगोगे, यह मेरा नंबर है जब भी फीस का टाइम हो मुझसे मांग लीजियेगा, राजा भइया जी लड़की से पूछे कितना फीस बाकी है, लड़की ने कहा 55 हजार, राजा भइया जी ने अपने पीआरओ अजीत जी को बोले इनको 55 हजार लाके दे दो, अजीत जी ने तुरंत पैसा लाकर दिया, लड़की रो रही थी, राजा भइया जी ने पूछा और कोई दिक्कत तो नही है, लड़की ने कहा नही भइया फिर उस लड़की ने अपना पूरा नाम —— यादव बताया, बोली पूर्व मंत्री के पास गई थी तो बोले कल आना जब-जब जाती थी यही कहते थे कल आना फिर कल जाती थी उनके गार्ड कहते थे मंत्री जी नही हैं, मम्मी-पापा बहुत परेसान थे, मम्मी बोली राजा भइया जी के पास जाओ पापा कहे कि कैसे जाऊं मैं उनको वोट नही दिया हूँ, यह कहकर जोर-जोर से रोने लगी, मा. राजा भइया जी ने उस लड़की को चुप कराया और पानी पिलाये। और कहे बेटी मैं वोट के लिए किसी की मदद नही करता मैं गरीबों की मदद करता हूँ, मैं किसी से जात नही पूछता, वह किसी भी जाति का किसी भी धर्म का हो..