‘ वन में चले राम रघुराई, संग में सीता, लक्ष्मण भाई

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

तहसील संवाददाता- नरसिंह यादव, बांसगांव, गोरखपुर


श्रीराम चले वनवास, अयोध्या सूनी भई

– राम और केवट के मिलन पर पंडाल  में गूंजा ‘ जरा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है…अभी जी भर के देखा नहीं है ‘

श्रीश्री आदर्श रामलीला समिति गंभीरपुर के तत्वाधान में रामलीला के छठे दिन श्रीराम के वनवास का भावुक मंचन किया गया।सीता से विवाह के बाद प्रभु राम सपत्नी अयोध्या पहुंचते हैं तो पूरा नगर हर्षोल्लास में डूब जाता है।

गुरु वशिष्ठ की सलाह पर राजा दशरथ अपने ज्येष्ठ पुत्र मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को राजपाट सौंपने का फैसला करते हैं। श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थी, उस समय मंथरा ने आकर कैकई की मती भ्रमित की। कैकई ने राजा दशरथ से भरत को राज्याभिषेक और दूसरे वरदान में राम को 14 वर्षों का वनवास मांग लिया। इन कठाेर वचनों को सुन राजा दशरथ व्याकुल होकर मूर्छित हो गए। दशरथ बिलखते हुए कहते हैं ‘ रानी हमें है लाज गर रघुकुल के नाम की, तो प्रण किया निभाएंगे सौगंध है श्रीराम की। फिजाएं देखती हैं देखते हैं महल सारे, जमीं आकाश पर्वत साक्षी हैं चांद और तारे। दाग रघुकुल वंश के दामन पर न आएगा कभी, प्राण जाएंगे वचन न जाएगा कभी। ‘

अयोध्या नगरी में शोक छा जाता है। पिता दशरथ के वचन का पालन करते हुए श्रीराम पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के संग वन को चल दिए। वन गमन के दौरान अयोध्या वासी भी उनके साथ चल दिए। श्रीराम ने तमसा नदी पर विश्राम के दौरान सभी के सो जाने पर चुपके से वह वन के लिए प्रस्थान कर गए। इस दौरान ‘वन को चले रघुराई, अयोध्या सूनी हो गई भाई’ का गायन सबको विह्वल कर रहा था। दशरथ की विवेक सिंह, सुमंत की विकास सिंह श्रीनेत, केवट की भूमिका में कौशल को लोगों ने खूब सराहा।


चित्र परिचय- श्री राम के वनवास जाने पर मूर्छित हो गए दशरथ

/श्रीराम को नाव से तमसा नदी को पार कराते निषादराज और केवट