- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा महिलाओं ने वैज्ञानिक जगत, विशेष रूप से, अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) में नेतृत्वकारी भूमिका ले लिया है
- अंतरिक्ष विभाग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय महिलाओं के लिए अन्य क्षेत्रों में भी उत्कृष्टता हासिल करने और उनमें अग्रणी भूमिका निभाने के द्वार खोल दिए हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में अपने आवास पर 225 से अधिक इसरो महिला वैज्ञानिकों के लिए गणतंत्र दिवस का स्वागत समारोह आयोजित किया।
इनमें प्रतिष्ठित महिला वैज्ञानिकों का दल भी शामिल था, जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर इसरो की झांकी का नेतृत्व किया था, जिसमें चंद्रयान, आदित्य एल1 और अन्य हालिया सफलता की कहानियों को प्रदर्शित किया गया था, जिनको वैश्विक प्रशंसा मिली थी और जिसने 140 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक को इसरो के साथ जोड़ा।
इसरो की झांकी का नेतृत्व पूरी तरह से आठ महिला वैज्ञानिकों ने किया, जबकि 220 आमंत्रित महिला वैज्ञानिकों ने अपने जीवनसाथी के साथ दल का उत्साह बढ़ाया। पूरी तरह से महिलाओं से बने दल को इसरो के बेंगलुरु, अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम और श्रीहरिकोटा केंद्रों से लाया गया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि गौरव का यह दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संभव हुआ, जिन्होंने नए अंतरिक्ष सुधार लाने के साथ, अंतरिक्ष क्षेत्र को अतीत की बेड़ियों से मुक्त कराया।
महिला वैज्ञानिकों ने कहा कि जब इसरो की झांकी कर्तव्य पथ पर निकली तो सहज तालियों की गड़गड़ाहट से वे बेहद सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रही थीं।
अपनी उपलब्धियों को राष्ट्र के सामने प्रदर्शित करने का अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए, महिला वैज्ञानिकों ने कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी में उनके लिए किए गए गर्मजोशी भरे आतिथ्य से इतना अभिभूत हैं कि वे दिल्ली की ठंड ही भूल गईं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैसे ही इसरो की झांकी राष्ट्रपति के बाड़े के करीब आने लगी, कथा वर्णन था, इसरो – “विकसित भारत की पहचान”।
इसरो ने उस ऐतिहासिक क्षण का चित्रण किया, जब उसका अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 पिछले साल 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा था। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस मील के पत्थर के कारण, भारत चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला दुनिया का पहला और एकमात्र देश बन गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो भारत की नारीशक्ति का आदर्श उदाहरण है, जिसमें महिला वैज्ञानिक न केवल भाग लेती हैं, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रमों से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का नेतृत्व भी करती हैं। उन्होंने कहा कि सुश्री निगार शाजी आदित्य एल1 मिशन की परियोजना निदेशक हैं, जबकि सुश्री कल्पना कलाहस्ती चंद्रयान-3 की एसोसिएट परियोजना निदेशक हैं।
स्वागत समारोह के दौरान, इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने मंत्री महोदय का महिला परियोजना निदेशकों और वैज्ञानिकों, जैसे निगार शाजी, इसरो की ‘सनी लेडी’, एडीआरआईएल की डॉ. राधा देवी और कल्पना कालहस्ती, रीमा घोष, रितु करिधल तथा निधि पोरवाल जैसे इतिहास रचने वाले अन्य प्रमुख वैज्ञानिकों से परिचय कराया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अमृतकाल के दौरान महिलाएं हमारे राष्ट्र की यात्रा में समान भागीदार होंगी और इसरो की महिला वैज्ञानिक इसकी पथप्रदर्शक होंगी, क्योंकि हम एक विकसित भारत @2047 की ओर बढ़ रहे हैं।