जनपद की 46 लाख आबादी को खिलाई जाएगी फाइलेरिया से बचाव की दवा – सीएमओ

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जनपद की 46 लाख आबादी को खिलाई जाएगी फाइलेरिया से बचाव की दवा – सीएमओ
तैयारियों में जुटा स्वास्थ्य विभाग – पंचायती राज, शिक्षा समेत अन्य विभागों का भी रहेगा सहयोग
घर – घर जाकर आईडीए की दवा का सेवन कराने वाले 8018 स्वास्थ्यकर्मी हो रहे प्रशिक्षित
4009 टीमें तैयार एवं पर्यवेक्षण के लिए 669 सुपरवाइज़र किए जाएंगे तैनात
(आजमगढ़ से राजेश गुप्ता की रिपोर्ट )
आजमगढ़|
अतरौलिया ब्लॉक छ्तौनी निवासी जितेंद्र ने बताया कि पिछले करीब 20 सालों से फाइलेरिया बीमारी से उनका दायां पैर ग्रसित है। जानकारी के अभाव में लक्षण दिखने से पहले मैंने फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन नहीं कर सका। लेकिन बीमारी की गंभीरता देखते हुए वह पिछले तीन सालों से लगातार दवा खा रहे हैं और परिवार के पात्र सदस्यों को भी दवा का सेवन करा रहे हैं। साथ ही पेशेंट प्लेटफॉर्म के साथ जुड़कर वह फाइलेरिया व उससे बचाव की दवा का सेवन करने के बारे में समुदाय को जागरूक कर रहे हैं।
 फाइलेरिया से बचाव के लिए जनपद में 10 फरवरी से ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान के तहत घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मी आमजन को फाइलेरिया रोग से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे। इसके लिए जनपद की 51.12 लाख आबादी के सापेक्ष एक वर्ष से ऊपर के करीब 46.46 लाख लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराने का लक्ष्य रखा गया है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ इंद्र नारायण तिवारी ने दी।
सीएमओ ने कहा कि ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवर्मेक्टिन, डीईसी व एल्बेण्डाजोल) अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार तैयारियों में जुटा है। इसके साथ ही पंचायती राज, ग्राम विकास, शिक्षा, आईसीडीएस, अल्पसंख्यक कल्याण, आपूर्ति, खाद्य आदि विभागों से समन्वय बनाकर कार्य योजना तैयार की जा रही है। दवा का सेवन कराने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके साथ जनपद के सभी 21 ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा दो शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अंतर्विभागीय समन्वयन बैठक आयोजित की जा रही है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है | इस बीमारी के लक्षण 5 से 10 वर्षों के बाद देखने को मिलते हैं। शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। फाइलेरिया एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में मच्छर के काटने से फैलता है। इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक एवं कठिन हो जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए वर्ष में एक बार दवा खाना जरूरी है।
वेक्टर जनित बीमारियों के नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी ने कहा कि जनपद में 10 फरवरी से 28 फ़रवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन के लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के अन्तर्गत दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए उम्र एवं लंबाई के सापेक्ष निर्धारित फाइलेरिया से बचाव की दवा घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने खिलाएँगे एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरित नहीं की जाएगी। नोडल अधिकारी ने बताया कि ने बताया कि आईडीए अभियान में लक्षित आबादी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। यह दवा पूरी तरह सुरक्षित व प्रभावी है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि साल में एक बार और लगातार पाँच साल तक फाइलेरिया रोधी दवा खाने से इसके संक्रमण से बचा जा सकता है।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) राधेश्याम यादव ने बताया कि अभियान की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। लक्षित आबादी 46.46 लाख को कवर करने के लिए कुल 4009 टीम बनाई गई हैं तथा दवा का सेवन कराने वाले 8018 स्वास्थ्यकर्मियों तैयार किया गया है। इसके पर्यवेक्षण के लिए कुल 669 सुपरवाइज़र तैनात किए जाएंगे। पिछले वर्ष 2023 में चिन्हित किए जनपद में फाइलेरिया के रोगियों की संख्या 1122 है जिसमें हाइड्रोसील के 274 और लिम्फोडीमा के 848 रोगी शामिल हैं। जिन ब्लॉक या क्षेत्र में ज्यादा मरीज हैं तो वहाँ अधिक ध्यान दिया जाएगा।