संवाददाता- ध्यानचंद यादव
आजमगढ़।संयुक्त किसान मोर्चा
आजमगढ़ के तत्वावधान में विभिन्न किसान संगठनों अ.भा.किसान महा सभा, किसान संग्राम समिति, भारतीय किसान यूनियन, जनमुक्ति मोर्चा , संयुक्त किसान मजदूर संघ , क्रांतिकारी किसान यूनियन,अ.भा.किसान सभा, जय किसान आंदोलन,जनवादी लोकमंच की बैठक अमर शहीद कुंवर सिंह उद्यान में हुई।
बैठक में निर्णय हुआ कि संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर14मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘किसान-मजदूर महापंचायत’ करेंगे ।इस महापंचायत में सभी ट्रेड यूनियनों और छात्रों, महिलाओं, देशभक्त बुद्धिजीवियों को शामिल होने का भी आह्वान करेंगे।
कल 10मार्च2024को आजमगढ़ एयरपोर्ट के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री के आगमन पर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपेंगे। यदि प्रशासन द्वारा ज्ञापन सौंपने नहीं दिया जाता है तब जमीन लूट के खिलाफ खिरिया बाग धरना स्थल पर शांतिपूर्ण प्रतिवाद दर्ज किया जाएगा।
वक्ताओं ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा उत्पादक वर्ग किसान और मजदूर हैं लेकिन कार्पोरेट घरानों के अतिमुनाफा पहुंचाने के लिए सरकार किसान-मजदूर विरोधी नीतियां लागू कर रही है।भारत का दो तिहाई हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है व आधा भारत खेती-किसानी करता है। 2020 के कोरोना लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पक्ष में 3 कृषि कानूनों को लेकर आई थी। यह कानून वैधानिक रूप से बड़े कॉरपोरेट्स को खेती के तरीकों, लागत कीमतों व कृषि सेवाओं, मंडियों और बिक्री मूल्यों, कृषि भंडारण एवं प्रसंस्करण तथा खाद्य बाजारों को नियंत्रित करने का अधिकार देते थे। जमाखोरी और कालाबाजारी पर लगे कानूनी प्रतिबंध को भी इनके द्वारा हटाया जा रहा था। किसानों ने इनके विरुद्ध संघर्ष किया और भारत सरकार को लिखित समझौते के तहत एक समिति गठित कर स्वामीनाथन फार्मूले सी2+50% के अनुसार सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के समाधान पर विचार करने; ‘भारी शुल्क और प्रीपेड मीटर लगाने वाले बिजली बिल को वापस लेने; किसानों की कर्जमुक्ति; किसान आंदोलनकरियों पर थोपें गये मुकदमे वापस करने; शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा देने;मंत्री अजय टेनी समेत लखीमपुर नरसंहार के दोषियों को सजा देने का वादा करने पर मजबूर किया था। जो आज भी अधूरे है और किसानों के संकट लगातार बढ़ रहे है।
लोगों को विरोध की आवाज़ उठाने से रोकने के लिए इसने पहले से ही झूठे मामलों, यूएपीए और एनए- सए लगाने, अंधाधुंध ईडी एवं अन्य पूछताछ, प्रेस की स्वतंत्रता का दमन, लोगों के खिलाफ अदालती कार्यवाही में हेरफेर आदि जैसी कई बाधाएँ खड़ी कर दी हैं।
बैठक में चंद्रधारी, दुखहरन राम, वेदप्रकाश उपाध्याय, रामराज,जयप्रकाश नारायण, रामकुमार यादव,राजेश आज़ाद, रामाश्रय यादव, तेज बहादुर, विनोद सिंह, सुदर्शन, रामजीत प्रजापति,रामराज, भीमराम, अवधराज यादव, नंदलाल ,बसंत,आदि उपस्थित थे।
अध्यक्षता रामकुमार यादव और संचालन राजेश आज़ाद ने किया।