आस्था का केंद्र है करवल देवी माता का मंदिर, साल भर श्रद्धालुओं को लगी रहती है भीड़

उत्तर प्रदेश गोरखपुर धर्म राष्ट्रीय समाचार समाचार

संवाददाता __नरसिंह यादव, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश


भक्तों का मुराद पूरी करती हैं मां कर वल देवी



गोरखपुर वाराणसी फोरलेन पर मुख्यालय से लगभग 45किलोमीटर करवल ऊर्फ मझगावां मे स्थित करवल देवी माता का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि मां के दरबार में सच्ची मन से मांगी मुराद पूरी हो जाती है, इसलिए दूर दराज के श्रद्धालु मां के दरबार में आकर पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि के समय करवल देवी कि विशेष महत्व है इस समय सच्चे मन से मांगी मुराद मां जरुर पूरा करती है।श्रद्धालु यहां कड़ाही चढ़ाते हैं माता का प्रसाद पूड़ी हलवा है जो नवमी के दिन श्रद्धालु चढ़ाते हैं,यहां श्रद्धालुओं का बारहों महीने भीड़ देखने को मिलती हैं।
बताया जाता है कि यहां पर पहले थारु जाती के लोग निवास करते थे जो बाद में अपना निवास स्थान बदल दिया। जिससे यहां घने जंगलों व झाड़ झखाड के रूप में तब्दील हो गया। वही गोपालपुर स्टेट राजघराने से सम्बंधित दो भाई मदन चन्द व कपूर चन्द यहां आ गये। कपूर चन्द जहां बसे वह स्थान करवल तथा मदन चन्द के निवास को मझगांवा के नाम से जाना जाने लगा।

वर्तमान समय में दोनों स्थानों को जोड़कर करवल मझगांवा के नाम से जाना जाने लगा,बताया जाता है कि थारु जाती की एक कन्या यहां के जंगल में भटक गई जिनको जंगली जानवरों ने मार दिया। थारु जाति के लोग कन्या को ढूंढने लगे, ढूंढते ढूंढते जंगल में उनका शव मिला। जिस जगह उनका मृत शरीर मिला वहीं एक पिंडी बनाकर उन लोगों ने अपनी कुलदेवी मानकर उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दी,जो बाद में करवल देवी के नाम से विख्यात हुआ।


बताया जाता है कि बहुत दिन पहले एक श्रद्धालु को कुष्ठ रोग था। वह माता के दरबार में हाजिरी लगाता था, करवल देवी माता की कृपा से उसका कुष्ठ रोग ठीक हो गया,जिससे माता के प्रति लोगों में आस्था और विश्वास बढ़ता गया। मंदिर के पुजारी परमेश बाबा ने कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां की भक्ति करता है उसकी मनोकामना मां करवल देवी अवश्य पूर्ण करती है।


”मां करवल देवी मंदिर के मुख्य पुजारी श्रवण कुमार पाण्डेय ऊर्फ परमेश बाबा ने बताया कि करवल देई माता का स्थान गोरखपुर से 45किलोमीटर फोरलेन के दक्षिण तरफ जाने वाली वाराणसी सड़क के पश्चिम सटे करवल माता का स्थान स्थित है। पुराणिक मान्यता के अनुसार भारतीय उपमहाद्वीप में फैले 51(एकावन) शक्तिपीठों के सम करवल देवी का स्थान उसी प्रकार से सुशोभित है। मातृ शक्ति करवल कंकाली का शरीर छुटा था जिससे यह स्थान प्रसिद्ध है यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है,भगवती कंकाली करवल देवी अपने भक्तों का कामना पूर्ण करती है। माता अड़हुल का फूल,कनइल का फूल,धार,सेन्दुर,कराही,श्री सत्यनारायण व्रत कथा, अखण्ड श्रीरामचरितमानस,श्री दुर्गा सप्तशती पाठ से मां प्रसन्न होती हैं।”
गगहा एरिया के रावतपार निवासी मनीष कुमार शाही ने बताया कि माता के दरबार में जो भी आता है वह खाली हाथ नहीं जाता है.माता सभी भक्तों की मुराद पूरी करती है.
मर्रे निवासी पप्पू चन्द ने बताया कि मां के दरबार में श्रद्धालुओं का प्रतिदिन आना होता है.मां अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती है.नवरात्र के समय माता के दरबार में श्रद्धालु अगर सच्चे मन से मांगी गई मुराद मां जरुर पूरा करती है.