आजमगढ़: मौत के सौदागरों की धरती, प्राइवेट अस्पतालों पर लगाम कब?

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संवाददाता- बजरंगी विश्वकर्मा, आजमगढ़,  उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ जनपद के गलियारों में कुछ ऐसा चल रहा है, जो स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। प्राइवेट अस्पतालों की अंधाधुंध संख्या में इजाफा हो रहा है, जो बिना किसी मान्यता और बिना किसी रजिस्ट्रेशन के खुलेआम संचालित हो रहे हैं। ये वो अस्पताल हैं, जहाँ न डॉक्टरी की डिग्री की परवाह है, न ही स्वास्थ्य विभाग की निगरानी की। ऐसा प्रतीत होता है कि इस अंधकारमय खेल में स्वास्थ्य विभाग ने खुद ही आंखों पर पट्टी बांध रखी है।

अस्पतालों के नाम पर मौत का व्यापार

यह बात सिर्फ असंवेदनशीलता की नहीं, बल्कि यह मौत के उस घिनौने खेल का हिस्सा बन चुकी है, जो सीधे-सीधे जन-जीवन से खिलवाड़ कर रहा है। जिले में लगातार प्रसूता की मौतें हो रही हैं, और हर मौत के साथ एक नया सवाल खड़ा हो जाता है – आखिर इन अस्पतालों पर लगाम कब लगेगी? स्वास्थ्य महकमे की नाकामी, शहर के हर कोने में चीख-चीख कर अपना दर्द बयां कर रही है, लेकिन इसके बावजूद विभाग की सुस्त कार्यवाही अपने आप में ही एक गहरी मूक स्वीकृति सी लगती है।

स्वास्थ्य विभाग की आँखों पर पट्टी

आजमगढ़ में हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जब प्रसूताओं की मौत हो जाती है, तो लोगों के लिए यह कोई अनोखी खबर नहीं रह जाती। आमजन की पीड़ा और उनका क्रोध, उन बड़े अफसरों तक पहुंच ही नहीं पाता, जिन्होंने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है। ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली है, जबकि असंवेदनशीलता की यह पट्टी जनता के दुख-दर्द को नजरअंदाज करती जा रही है।

जनता किससे करे उम्मीद?

प्रश्न यह है कि जब खुद जिला प्रशासन ही अनदेखी का शिकार बना हुआ है, तो आम जनता अपनी फरियाद किससे करे? बार-बार एप्लिकेशन देने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं होती, तो जनता का हृदय व्याकुल हो उठता है। इस वाक्य को महसूस करिए: “लोग दर्द में डूबे हैं, और ठोकरें खाकर, दर-दर की ठोकरें खाकर अपनी आवाज उठा रहे हैं, लेकिन कान में जूं तक नहीं रेंगती।” मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों का क्या असर है, यह देखना है तो आजमगढ़ आइए। यहाँ पर दिखता है कि कितने प्रभावी होते हैं ये आदेश, और कैसे मौन हो जाती है स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही।

झोलाछाप डॉक्टरों का जाल

जनपद में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है, जो अनपढ़ता और चिकित्सा के नाम पर धोखा देकर लोगों की जिंदगियों के साथ खेल रहे हैं। इनकी भरमार ने आजमगढ़ को एक ऐसी धरती बना दिया है, जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सिर्फ मौत के सौदे हो रहे हैं। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी, इन मौतों की ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकती। यह न केवल सिस्टम की नाकामी है, बल्कि यह उस उम्मीद की भी हत्या है, जो जनता अपने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से रखती है।

आखिर कब जागेगा स्वास्थ्य विभाग?

यह समय है कि स्वास्थ्य विभाग अपनी आंखों की पट्टी उतार कर इस घिनौने खेल पर सख्त कार्यवाही करे। यह जरूरी है कि उन अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों पर तत्काल कार्यवाही की जाए, जो बिना रजिस्ट्रेशन और मान्यता के खुलेआम मौत का व्यापार कर रहे हैं। अगर अब भी समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह सिर्फ आजमगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक गंभीर चेतावनी साबित हो सकती है। आज जनता के लिए सवाल यही है – आखिर कब तक हमें मौत के इन सौदागरों के रहमो-करम पर छोड़ दिया जाएगा?