बाढ़ पीड़ितों के समग्र विकास और अधिकारों के लिए 12 वर्षों से संघर्षरत, आजमगढ़ के मानिकपुर क्षेत्र की स्थाई और तत्कालिक मांगों पर एक दृष्टि

आजमगढ़

संवाददाता- मनोज कुमार सिंह, आजमगढ़,  उत्तर प्रदेश

           बाढ़ पीड़ित जन कल्याण संस्थान, मानिकपुर, आजमगढ़ पिछले 12 वर्षों से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार और समग्र विकास के लिए संघर्षरत है। नदी कटान, आवागमन के कठिनाई, मूलभूत सुविधाओं की कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों को हल करने में यह संस्थान निरंतर प्रयासरत है। संस्थान के अथक प्रयासों से कुछ समस्याओं का समाधान हो चुका है, लेकिन अभी भी कई मुद्दों पर प्रशासन का ध्यान अपेक्षित है।

  • स्थाई माँगें: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
  1. सरयू नदी के दक्षिणी किनारे पर कंक्रीट का बांध निर्माण  

          बाढ़ से सुरक्षा के लिए संस्थान की प्राथमिक मांग है कि सरयू नदी के दक्षिणी किनारे पर, नदी के समानांतर एक ठोस कंक्रीट का बांध बनाया जाए। यह बांध बाढ़ की आपदा को रोकने और क्षेत्र को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

  1.     नदी की गहराई और सफाई का वार्षिक कार्य

            संस्थान की मांग है कि हर वर्ष नदी की गहराई बढ़ाने और उसकी सफाई का कार्य नियमित रूप से किया जाए ताकि नदी में सिल्ट और बालू अवरोधक न बने। इससे धारा में अवरोध नहीं होगा, और पानी का प्रवाह सुगम रहेगा, जो बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करेगा।

  1. नदी की चौड़ाई को गोरखपुर सीमा में व्यवस्थित करना 

            मानिकपुर और आस-पास के क्षेत्र में नदी केवल 500 मीटर के दायरे में बहती है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। संस्थान की मांग है कि गोरखपुर सीमा से नदी की चौड़ाई को लगभग 1 कि.मी. तक किया जाए ताकि पानी का प्रवाह व्यापक हो और बाढ़ की संभावना कम हो।

  1. बाढ़ प्रभावित फसल, जानवर और मानव संसाधन का बीमा

           बाढ़ के दौरान होने वाले जान-माल और फसलों के नुकसान को देखते हुए संस्थान ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फसलों, जानवरों और मानव संसाधनों का बीमा कराने की मांग की है। इससे प्रभावित लोगों को आर्थिक राहत मिल सकेगी और उनके पुनर्वास में सहूलियत होगी।

  • तत्कालिक माँगें: क्षेत्रीय समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जरूरी कदम
  1. मनरेगा के तहत बाढ़ प्रभावित गांवों का सड़क से जुड़ाव

             संस्थान ने मांग की है कि बाढ़ प्रभावित गांवों और मजरों को मनरेगा योजना के तहत सड़कों और पुलों के माध्यम से मुख्यधारा से जोड़ा जाए ताकि लोगों को आवागमन में कोई कठिनाई न हो और जीवन सुगम हो सके।

  1.       दर्शननगर/मिकनहा कुटी पुल का निर्माण

               दर्शननगर और मिकनहा कुटी के बीच स्थित पुल के छत निर्माण की मांग की गई है ताकि वहां के निवासियों को सुचारू आवागमन की सुविधा मिले।

  1.     औघडगंज और बेलहिया में नए पुलों का निर्माण  

               बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में औघडगंज और बेलहिया में पुलों का निर्माण कर लोगों के आवागमन की सुविधा को सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। इस क्षेत्र में पुलों की कमी के कारण लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

  1. रैन बसेरों की मरम्मत और साफ-सफाई

             बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रैन बसेरों की मरम्मत, सफाई और उनके आसपास की झाड़ियाँ हटाकर इन्हें दुर्घटनाओं से मुक्त करना संस्थान की प्रमुख मांगों में शामिल है। इससे आवागमन में सुरक्षा बनी रहेगी और यात्रियों को राहत मिलेगी।

  1.         फुटपाथ पशुओं का संरक्षण

          क्षेत्र में आवारा पशुओं को पकड़कर उन्हें गौशालाओं में भेजा जाए ताकि सड़क दुर्घटनाओं से राहत मिले और बाढ़ प्रभावित इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।

           बाढ़ पीड़ित जन कल्याण संस्थान का यह प्रयास मानवीय मूल्यों को सुदृढ़ करने और पीड़ित समुदाय को सहारा देने का एक शानदार उदाहरण है। 12 वर्षों के संघर्ष और प्रयासों के बाद संस्थान ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, लेकिन अभी भी कई मांगे प्रशासन की कार्यवाही की प्रतीक्षा में हैं। मानिकपुर और आजमगढ़ के लोगों की सुरक्षा और उनकी जीवन-स्तर को बेहतर बनाने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर संस्थान के इस प्रयास को समर्थन देना चाहिए।