गायब लड़कियों की विवेचनाओ का स्वयं एसएसपी व एसपी करें समीक्षा- एडीजी

गोरखपुर

ब्यूरो प्रमुख एन. अंसारी, गोरखपुर  

व्यवस्था के तहत एकमुश्त धनराशि उपलब्ध कराने का किया जा रहा प्रयास जिससे विवेचक विवेचना त्वरित गति से कर सके- एडीजी

गोरखपुर। लड़कियों अपने झांसे में लेकर घर से बहला फुसलाकर लेकर चले जाने वाले अपराधियों को ढूंढने के लिए एसपी व एसएसपी गायब लड़कियों की विवेचना स्वयं समीक्षा करे व्यवस्था के तहत एक मुस्त धनराशि उपलब्ध कराने का किया जा रहा प्रयास जिससे विवेचक विवेचना त्वरित गति से कर सकें और लड़कियों को सकुशल बरामद कर सकें धनराशि के चक्कर में विवेचक को इधर-उधर हाथ पांव न फैलाना पड़े। पुलिस एडीजी जोन अखिल कुमार ने बताया कि लड़कियों को बहला-फुसलाकर इधर-उधर या अन्य प्रदेशों में लेकर चले जाने वालों के खिलाफ लड़कियों के माता-पिता द्वारा थानों में 363 व 366 के तहत मुकदमा पंजीकृत करा कर अपनी लड़कियों को बरामद करने के लिए थानों व विवेचक का चक्कर वादियों को लगाना पड़ता है ऐसे मामलों का स्वयं एडीजी जोन ने संज्ञान लेते हुए कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस कप्तान अपने-अपने जनपदों में स्वयं संज्ञान लेते हुए गायब हुई लड़कियों की विवेचना की समीक्षा करे कि किन कारणों से गायब लड़कियों बरामद नहीं हो पा रही हैं अगर पैसे के कारण विवेचक तह तक नहीं जा पा रहे हैं तो कारणों को बताएं जिससे शासन को अवगत कराया जा सके और गायब हुई लड़कियों को बरामद करने में सहयोग लिया जा सके। 2021 में 363 व 366 जैसे मुकदमों में किए गए प्रगति की समीक्षा करते हुए पाया कि गोरखपुर मंडल में एक सौ से अधिक विभिन्न थानों में 363 व 366 के मुकदमे पंजीकृत है पैसे से सबल वादी फोर व्हीलर की व्यवस्था कर विवेचक को अपने पाल्यो को खोजने हेतु लगा देते हैं जिसमें विवेचक कामयाब भी होते हैं लेकिन गरीब वादियों के पास पैसा उपलब्ध ना होने के कारण विवेचक को कोई संसाधन उपलब्ध नहीं करा पाते हैं ऐसे मामलों में विवेचक आनाकानी करते हुए मुकदमे के तह तक नही पहुच पाते हैं ऐसे विवेचना हेतु कोशिश की जा रही है कि शासन द्वारा एक मुस्त पैसा उपलब्ध हो जाए जिससे विवेचक अन्य जनपदों या अन्य प्रदेशों में जाकर लड़कियों को खोजने का काम कर सके जिससे मुकदमों के निस्तारण करने में विवेचक तत्परता दिखाते हुए मुकदमों का निस्तारण कर सकेंगे।
ऐसे मामलों में विवेचाना कर रहे दरोगाओं के सामने प्रदेश से बाहर जाकर बरामदगी करने के लिए फंड की कमी है। विभाग की ओर से उन्हें 8 महीनों से अधिक का अब तक टीए और डीए तक नहीं मिला है। ऐसे में विवेचना के लिए या तो वे खुद की सैलरी से रुपए खर्च करें या फिर पीड़ित परिवार से मदद लें। यही वजह है कि अधिकांश मामलों में पुलिस के सामने बजट का संकट खड़ा हो जाता है।
ऐसे ही गोरखपुर एक मामले में पीड़ित परिवार की शिकायत पर बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट को भी दखल देनी पड़ी। कोर्ट की दलख के बाद गोरखपुर पुलिस ने अपहरण का केस दिल्ली के मालवीय नगर पुलिस को ट्रांसफर किया। लेकिन पीड़ित परिवार के तमाम मिन्नतों के बाद भी पुलिस उस परिवार की अपहरण की हुई बेटी को नहीं ढूंढ सकी। दरअसल, बीते वर्ष 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक भी पूरे वर्ष में अपहरण की गई 30 लड़कियों का पुलिस आज तक पता नहीं लगा सकी। इसके साथ ही 1 जनवरी 2021 ये 31 अगस्त 2021 तक इस 8 महीने के दरमयान जिले कुल 173 लड़कियों के अपहरण का पुलिस ने केस दर्ज किया। इस तरह जिले से कुल लापता 203 लड़कियों में पुलिस ने 173 को सकुशल बरामद किया लेकिन शेष 34 लड़कियों को पुलिस को पुलिस अभी तक बरामद नहीं कर सकी श्री कुमार ने बताया कि अधिकांश ल​ड़कियों का लोकेशन उत्तर प्रदेश से बाहर मिलता है जिन मामलों में पीड़ित परिवार पुलिस को साधन आदि उपलब्ध करा देता, उन मामलों में पुलिस थोड़ी रूचि भी दिखाती, लेकिन जिन मामलों में सबकुछ पुलिस पर ही निर्भर होता, उन मामलों में पुलिस हवा में ही तीर चलाती है। क्योंकि पुलिस के पास विवेचना के नाम पर कोई बजट नहीं है। व्यवस्था के तहत एकमुश्त धनराशि उपलब्ध कराया जाए जिससे विवेचक विवेचना को त्वरित गति से कर सके और गायब लड़की को सकुशल बरामद कर सके कोशिश की जा रही है कि शासन से एकमुश्त विवेचक को धनराशि उपलब्ध करा दी जाए जिससे विवेचक गुमशुदा लड़की को मिल रहे लोकेशन पर पहुंच कर बरामद कर सके और विवेचक को अपने पास से पैसे न लगाना पड़े
वहीं, कई मामलों में भागने वाले लड़के लड़की मोबाइल भी बंद कर देते हैं। ऐसे में उनका लोकेशन भी ट्रेस नहीं हो पाता। जबकि कई मामलों में परिवार के लोग लड़की को नाबालिग बताकर केस दर्ज कराते हैं, लेकिन बरामदगी के समय लड़की स्वंय के बालिग होने और इच्छा से शादी करने का दावा करती है। ऐसे मामलों में फिर पुलिस कुछ नहीं कर पाती। शासन को ऐसे मामलों की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी जिससे एकमुश्त धनराशि आ जाए और विवेचक को उपलब्ध करा कर गुमशुदा लड़कियों को खोजने में प्रयोग किया जा सके और बरामद लड़कियों को उनके पिता या वादी को सुपुर्द सकुशल किया जा सके।

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