बिना रावण बध के वी आई के इन्तजार में नहीं हो सका रावण का दहन-डॉ अर्जुन पाण्डेय

अमेठी
  • मंच के बगल मरी पड़ी रही गाय
     दशहरा पर्व पर अमेठी जल बिरादरी ने रामलीला कमेटी पर लगाये गम्भीर आरोप
     सनातन धर्म हुआ तार-तार

अमेठी। विजयादशमी अधर्म पर धर्म का विजय पर्व है।सनातनवी धर्म में यह पर्व सदैव अध्यात्म से जुड़ा रहा। दुनिया में सभी धर्म के लोग अपने धर्म की मर्यादा के विपरीत पर्व या त्योहार नहीं मनाते।आज देश में धार्मिक पर्वो के ऊपर व्यवसाय हावी है। धर्म गौड़ होता जा रहा है। शासन की नीतियां स्पष्ट नहीं है। अमेठी में दशहरा पर्व के साथ खिलवाड़ देखने को मिला।एक दिन पूर्व रात्रि ९बजे तक प्रशासन मेला न लगने की बात करता है।कितनी दुकानें वापस चली गई।देर रात बड़ी मशक्कत के बाद परमीशन मिली । जनता और दुकानदार पशोपेश में रहा, जिसका असर मेले में देखने को मिला। भीड़ न के बराबर रही। दुकानदारी फीकी रही। लोगों में उल्लास गायब रहा।बच्चे, बूढ़े और शयान पहले से ही सभी दशहरा मेला लगने का इंतजार करते, जो आज भूलता जा रहा है। शुभ संकेत नहीं है। अबकी बार राम-रावण का युद्ध वी आई पी के इन्तजार में रोक दिया गया, जहां ५-२५बजे रावण दहन होना था, हुआ नहीं। राम लीला कमेटी ने रावण को एक घंटे तक जीवित रखा। बिना राम-रावण युद्ध के रावण दहन कर दिया गया। इससे बड़ा खिलवाड़ क्या होगा? यहां तक कि मंच के पास गाय मरी पड़ी रही। सनातन धर्म में हम गाय की पूजा की बात करते हैं। शासन प्रशासन सोया रहा।यह घोर चिंता का विषय है। यह भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात है। हमें नहीं लगता कि बचपना का हर्षोल्लास का रामायण मेला देखने को मिलेगा।अब तो सोचना पड़ेगा। पहले एक रावण रहा ,अब तो न जाने कितने रावण हैं?यदि देश की संस्कृति को बचाना है तो समाज में फैल रही रावणी प्रवृत्ति को खत्म करना होगा। प्रभु श्रीराम हमारी आस्था के केन्द्र बिन्दु हैं । देश की अस्मिता बची रहे । एतदर्थ आवश्यकता इस बात की है, पश्चिमी भोगवादी संस्कृति से हटकर भारतीय संस्कृति की धरोहर आध्यात्मिक सोच को अपनाना होगा अन्यथा देश की पहचान धूल-धूसरित होने से कोई बचा नहीं सकता ।

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