ब्यूरो रिपोर्ट- प्रेम कुमार शुक्ल,अमेठी
अमेठी | मुंशीगंज धाना क्षेत्र मे आज एक फौजी की वाहन से कुचल कर हत्या का मामला गूंज रहा है परिजन सहित ग्रामीण पुलिस पर अंगुली उठा रहे है यह एक बडा सवाल है कि आये दिन ऐसे सवाल पुलिस पर उठते रहते है वह भी सरकार द्धारा जिसे मित्र पुलिस का नाम दिया गया है मै जो भी लिख रहा हूँ वह किसी एक थाने की बात नही है हर थाने एक रास्ते पर है थानो मे सह थानाध्यक्ष मैने यह नाम दलाल को दिया है जिनके इसारे पर थाने चल रहे है कोई भी कार्य कराने की क्षमता दलाल रखता है गांव का एक सामान्य शरीफ आदमी थाने मे जायेगा तो पुलिस का उसके साथ क्या व्यवहार होगा आप खुद समझ सकते है उसे बैठने के लिए बेंच पर भी जगह नही मिलेगी पर जब दलाल थाने मे पहुचता है तो थाना प्रभारी अपने सामने कुर्सी पर बैठायेगे मेहमान की तरह उसकी आवभगत करेगे। थाना मे मिनी मुखिया बन काम करने वाले दलाल बढते अपराध का एक बडा कारण है ऐसे लोगो को राजनैतिक संरक्षण भी मिलता है जिससे इनकी सह पर बडी घटनाओ को अंजाम मिल जाता है मुंशीगंज की घटना भी कुछ उसी ओर जा रही है यह एक बडा जाँच का विषय है कि जिनकी ओर सभी नजरे उठा रहे है उनका थाने से क्या रिस्ता था… थाने मे लगातार उनका आना जाना क्यो था …पर इसकी जाँच नही होगी..न ही थानो से दलालो का बोल बाल कम होगा इस लिए संतोष जैसी घटनाएं होती रहेगी पुलिस पर भी अंगुली उठती रहेगी…पीडित इंसाफ के लिए भटकते रहेगे निर्दोष को सजा मिलती रहेगी।
जयहिंद