अमेठी। अब अमेठी अपने पुराने इतिहास को याद दिलाने जा रही है। कांग्रेस मय अब अमेठी हो चला है। लेकिन इस बार अमेठी का योध्दा का कोई और होगा। पहले कांग्रेस ने रियासत के सहारे बिरासत को सवारे का खेल शुरु किया। शुरूआत तो अच्छी हुई। परन्तु जिन्हे जिम्मेदारी मिली वे असली जिम्मेदार नही ठहरे, और बुनियादी सुधार का ढाचा मजबूत नही हो पाया ।और मौजूदा प्रदेश सरकार भी उसे आज ठन्डे बस्ते मे डाल दिया। अमेठी का ऊसर आज भी किसान की आमदनी को कम ऑकने के लिए मजबूर कर दिया। एक कहावत है कि “ऊसर बीज बोयै तिरन नही जमै “आज चरितार्थ हो रही है।
जल भराव की समस्या से किसान परेशान है। जल निकासी की व्यवस्था ना होने से खेती से बेहतर उपज नही मिल पा रही है। कांग्रेस पार्टी ने आज अन्दोलन तेज कर दिए है। और उसी बुनियादी मुददे पर कांग्रेस प्रत्याशी आशीष शुक्ल (अमेठी),फतेह बहादुर (गौरीगंज),बिजय पासी (जगदीशपुर),प्रदीप सिंघल (तिलोई)अर्जुन पासी (सलोन),आदि ने आवाम की आवाज को लेकर जनता के बीच मे उतरे है। किसान की फसल को आवारा पशुओ नष्ट कर रहे है। और नवजवान बेरोजगार है। एक कहावत प्रचलित है कि अमेठी मे होत ना ऊसर, राजा होत दऊ कैय दूसर, आज भी लागू हो रही है। अगली कहावत है कि “तिलोई मा होत ना ताल, राजा होत दऊ का लाल, आज भी लागू हो रही। कांग्रेस ने अस्सी के दशक मे “ऊसर “और “ताल “से मुक्ति के लिए” उत्तर प्रदेश भूमि सुधार योजना “शुरू की थी। कि यह खेतो की बीमारी चली जाए। और रेह,ताल से जनता को राहत मिल जाए। लेकिन यह “विश्व बैंक पोषित ऊसर सुधार योजना “को उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017-18 मे बन्द कर दी। ऊसर-ताल की समस्या को दूर करने का बीडा उठाया है।