राजकीय श्री दुर्गा जी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल चंडेश्वर आजमगढ़ द्वारा नि:शुल्क चिकित्सा शिविर व परामर्श

संवाददाता_राजकुमार गुप्ता आयुष मंत्री एवम निदेशक होम्योपैथी उत्तर प्रदेश के अनुपालन में प्राचार्य प्रोफेसर डॉ राजेंद्र सिंह राजकीय श्री दुर्गाजी होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवम अस्पताल चंडेश्वर आजमगढ़ के निर्देशानुसार कम्युनिटी विभाग एवं प्रैक्टिस आफ मेडिसिन विभाग की तरफ से ग्रामसभा चंडेश्वर में निशुल्क होम्योपैथिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया । शिविर […]

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के 25 डोर्नियर विमानों के ‘मिड लाइफ अपग्रेड’ के लिए 2,890 करोड़ रुपये से अधिक के एचएएल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय ने 2,890 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय नौसेना के लिए संबंधित उपकरणों सहित 25 डोर्नियर विमानों के ‘मिड लाइफ अपग्रेड (एमएलयू)’ के लिए 15 मार्च, 2024 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। डोर्नियर विमान के ‘एमएलयू’ में अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम और प्राइमरी रोल सेंसर को शामिल करने के लिए […]

उपभोक्ता सुरक्षा के लिए विभिन्न पहलों की शुरुआत: मंत्री पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के लिए विभिन्न पहलों की शुरुआत की श्री पीयूष गोयल ने चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में राज्य उपभोक्ता आयोग कार्यालयों में स्थापित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उद्घाटन किया एनटीपी के माध्यम […]

भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान का 20वां दीक्षांत समारोह करनाल में आयोजित

भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान का 20वां दीक्षांत समारोह संस्थान के सभागार करनाल, हरियाणा में आज आयोजित किया गया। इस अवसर पर पदम भूषण डा. आर.एस. परोदा, पूर्व सचिव (डेयर) तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं टास के अध्यक्ष ने दीक्षांत भाषण दिया। 20वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर कुल 278 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई जिनमें से 49 विद्यार्थियों को बी.टेक की […]

दीनदयाल अंत्‍योदय योजना के लिए जे-पाल दक्षिण एशिया के साथ समझौता हस्ताक्षर

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दीनदयाल अंत्‍योदय योजना राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समावेशी विकास के कार्यान्वयन में तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए जे-पाल दक्षिण एशिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए -पाल दक्षिण एशिया दीनदयाल अंत्‍योदय योजना राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत नए शोध करने और डेटा उपयोग को संस्थागत […]

केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने किसानों व एफपीओ के लिए दो ऐप लांच किए

भारत को डिजिटल कृषि अर्थव्यवस्था वाला विकसित देश बनाने में मिलेगी मदद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज दो महत्वपूर्ण, एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) व किसान अनुकूल ऐप लांच किए। ये हैं- ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) मोबाइल ऐप, जिसे ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फार डिजिटल कामर्स) के साथ एकीकृत किया गया है और दूसरा, एफपीओ इंस्पेक्शन मोबाइल ऐप। ओएनडीसी के साथ ई-नाम मोबाइल ऐप के एकीकरण से ई-नाम पर पंजीकृत एफपीओ/किसान कृषि/प्रसंस्कृत उपज ओएनडीसी नेटवर्क वाले खरीदारों के माध्यम से बेच सकते हैं। इससे एफपीओ/किसानों को ओएनडीसी नेटवर्क के माध्यम से अधिक खरीदारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। ई-नाम अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग (ई-ट्रेडिंग) पोर्टल है, जो कृषि वस्तुओं के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने हेतु एक आभासी मंच के माध्यम से मौजूदा भौतिक एपीएमसी को नेटवर्क बनाना चाहता है। ई-नाम की शुरूआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में 14 अप्रैल 2016 को हुई थी। वर्तमान में 23 राज्यों व 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 1389 विनियमित थोक बाजारों में ई-नाम लागू किया गया है। किसानों की उपज की प्रतिस्पर्धी बोली के कारण ई-नाम पर किसानों की आय बढ़ रही है और विक्रेताओं को समय पर ऑनलाइन भुगतान भी प्राप्त होता है। ई-नाम की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से यह पूरी तरह पारदर्शी है। 2016 में शुरू हुए ई-नाम पोर्टल पर अभी तक 1.77 करोड़ से ज्यादा किसान और 2.55 लाख से ज्यादा व्यापारी पंजीकृत हो चुके हैं। 3,600 से ज्यादा एफपीओ भी ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं। इसके अलावा, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ई-नाम के लिए 1.71 लाख से अधिक एकीकृत लाइसेंस जारी किए गए हैं। फरवरी-2024 तक इस प्लेटफॉर्म पर 3.32 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार दर्ज किया जा चुका है और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसी तरह, एफपीओ इंस्पेक्शन मोबाइल ऐप, 10 हजार एफपीओ के गठन व संवर्धन की योजना के कुशल कार्यान्वयन की सुविधा के लिए, प्रभावी निगरानी व रिकॉर्ड रखने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इस ऐप की प्रमुख विशेषताओं में से एक, निरीक्षण की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए जियो निर्देशांक के साथ एफपीओ का निरीक्षण करने वाले व्यक्ति की छवि कैप्चरिंग है। इस ऐप में, सीबीबीओ, एफपीओ से संबंधित संपूर्ण निगरानी व निरीक्षण गतिविधियां की जा सकती हैं, जिससे यह सुधार व संवर्धन में मददगार है। इन दोनों सुविधाओं से निश्चित रूप से एफपीओ, किसानों, विक्रेताओं, खरीदारों को बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम में एक सक्रिय भागीदार बनने के लिए खुद को विकसित करने और भारत को निकट भविष्य में डिजिटल कृषि अर्थव्यवस्था वाला विकसित देश बनाने में मदद मिलेगी।  

श्री ज्ञानेश कुमार और श्री सुखबीर सिंह संधू ने चुनाव आयुक्त का कार्यभार संभाला

  श्री ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू ने आज भारत निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने निर्वाचन सदन में नवनियुक्त चुनाव आयुक्तों का स्वागत किया। उल्‍लेखनीय है कि नवनियुक्‍त चुनाव आयुक्‍तों के लिए आगामी बारह सप्ताह अति व्‍यस्‍त और चुनौतीपूर्ण […]

सी.एस.आई.आर. – राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला ने मनाया एक दिवसीय हिंदी सम्मेलन

सी.एस.आई.आर. – राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के पर्यावरण विज्ञान एवं जैवचिकित्सा मापिकी प्रभाग द्वारा आज एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका विषय था “पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य : वर्तमान चुनौतियाँ “। उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर वेणु गोपाल आचंटा, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि प्रयोगशाला में पर्यावरण विज्ञान एवं जैवचिकित्सा मापिकी से संबन्धित अंशांकन व परीक्षण कार्य शीघ्र ही शुरू होगी। पर्यावरण विज्ञान एवं जैवचिकित्सा मापिकी प्रभाग के  विभागाध्यक्ष  डॉ. सच्चिदानंद सिंह ने अपने उद्बोधन में इस प्रभाग के गठन व राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय महत्त्व  की ऐतिहासिक उपलब्धियों की जानकारियां दी। डॉ. शंकर गोपाल अग्रवाल, मुख्य वैज्ञानिक, एनपीएल  व सचिव, मेट्रोलॉजी सोसाइटी ऑफ इण्डिया ने एमएसआई के बारे में बताया। डॉ. अखिलेश गुप्ता,वरिष्ठ सलाहकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने अपने व्याख्यान में प्रदुषण, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के अंतर्संबंधों पर विस्तृत ज्ञानवर्द्धक  जानकारी दी। डॉ. सुमित कुमार मिश्रा, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में प्रधान वैज्ञानिक और  इस सम्मेलन के  संयोजक ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। दिन भर चले इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर कई तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया था। इसमें प्रोफेसर यू सी कुलश्रेष्ठ, पर्यावरण विज्ञान संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, डॉ मयंक कुमार, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी दिल्ली, श्री अबगा जी, राष्ट्रीय संयोजक, नीड मिशन, डॉ सुमित शर्मा, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, प्रोफेसर (डॉ) अनंत मोहन, प्रोफेसर (डॉ) संजय कुमार राय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), प्रोफेसर (डॉ) अनिल अरोड़ा, गंगाराम अस्पताल,  प्रोफेसर चिराश्री घोष, पर्यावरण अध्ययन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ जे आर भट्ट, राष्ट्रीय उच्च अध्ययन संस्थान, बंगलुरु, डॉ जे एस शर्मा, इंडियन एसोसिएशन ऑफ एयर पॉल्यूशन कंट्रोल, श्री सौरभ मिश्र, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय आदि संस्थानों के विषय-विशेषज्ञों सहित अन्य  क्षेत्रों  के  गणमान्य  चिकित्सक व प्रबुद्धजनों ने  अपने अनुभवों को साझा किया तथा मानव कल्याण के लिए विषयानुकूल समाधान प्रस्तुत किया। सम्मेलन में प्रतिभागी शोधार्थियों द्वारा ४० से ज्यादा पोस्टर्स को प्रदर्शित किया गया और उत्कृष्ट पोस्टरों को सम्मानित भी किया गया।

1.22 करोड़ रुपए की मंजूरी के साथ क्विकसैंड डिज़ाइन स्टूडियो के लिए इनोवेशन परियोजना शुरू

फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) उद्योग में नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने मैसर्स क्विकसैंड डिजाइन स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली के साथ एक समझौता किया है। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड  ने ‘भारत-इज़राइल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार कोष (आई4एफ)’  के अंतर्गत “डिजिटल फाइनेंशियल सॉल्यूशंस फॉर लास्ट माइल […]

जर्मनी के अनुसंधान केंद्र से भारत को बड़ा प्रोत्साहन

अनुसंधानकर्ताओं के लिए बड़ा प्रोत्साहन : भारत बेहतर सटीकता के लिए जर्मनी के अनुसंधान केंद्र में उन्नत सिंक्रोटोन सुविधाओं पर विद्यमान साझीदारी का विस्तार कर सकता है भारतीय वैज्ञानिकों ने एक द्विपक्षीय संचालन समिति के दौरान भारत उन्नत सिंक्रोटोन सुविधाओं पर विद्यमान साझीदारी के विस्तार की संभावनाओं पर विचार किया है जो सबसे छोटे स्तरों पर अलग अलग वस्तुओं की माप कर सकते हैं, संरचना, ऊर्जा की स्थितियों और उन्नत सामग्रियों के कार्यों को रिकॉर्ड कर सकते हैं तथा ऊर्जा एवं पर्यावरण के प्रति सुसंगत मूल – स्थान प्रतिक्रिया के स्नैपशौट का अध्ययन कर सकते हैं। जर्मनी के एक विख्यात अनुसंधान केंद्र ड्यूश एलेक्ट्रोनेन – सिंक्रोटोन ( डीईएसवाई ) से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने 12 – 14 मार्च, 2024 को बंगलुरु में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) का दौरा किया और सिंक्रोटोन एक्स-रे प्रयोगों पर भारतीय वैज्ञानिकों तथा डीईएसवाई के बीच वर्तमान में जारी सहयोग की प्रगति पर विचार विमर्श केया। उन्होंने पेट्रा iv तथा फ्री इलेक्ट्रोन लेजर में प्रयोगों में साझीदारी करने की संभावना पर भी चर्चा की जो अधिक सटीकता के साथ एक उन्नत अनुसंधान बुनियादी ढांचा होगा। इस सहयोगात्मक प्रयास पर 2011 में भारत सरकार के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर सी एन आर द्वारा शुरु किए गए भारत-जर्मन सहयोग का विस्तार करते हुए नैनो और उन्नत सामग्री विज्ञान में भारत और डीईएसवाई के बीय कार्यनीतिक साझीदारी के विस्तार के रूप में चर्चा की गई थी। विद्यमान साझीदारी ने तब से 60 संस्थानों के 1000 से अधिक भारतीय शोधकर्ताओं को उन्नत सामग्री एवं नैनो विज्ञान में अपने शोध के लिए डीईएसवाई में सिंक्रोटोन विकिरण स्त्रोत पेट्रा iii का उपयोग करने में सक्षम बनाया है। इस सहयोग का परिणाम 7 के औसत प्रभाव कारक के साथ 340 वैज्ञानिक प्रकाशनों के रूप में सामने आया है जिसमें नोवेल क्वांटम मैटेरियल्स, ऊर्जा एवं स्वच्छ वातावरण के लिए उन्नत मैटेरियल्स और सेमीकंडक्टर जैसे विषय शामिल हैं। एनसीएएसआर में उपयोगकर्ता कार्यशाला लोकसंपर्क कार्यक्रम के पहले दिन आयोजित एक द्विपक्षीय संचालन समिति के दौरान पेट्रा iii पर वर्तमान सहयोग को विस्तारित करने तथा पेट्रा 4 एवं फ्री इलेक्ट्रोन लेजर में प्रयोगों में साझीदारी करने की संभावना पर भी चर्चा की जो अधिक सटीकता और बीमलाइन की चमक के साथ एक उन्नत अनुसंधान बुनियादी ढांचा होगा। पेट्रा iv सबसे छोटे स्तरों पर अलग अलग वस्तुओं की माप करने, संरचना, ऊर्जा की स्थितियों और उन्नत सामग्रियों के कार्यों को रिकॉर्ड करने तथा ऊर्जा एवं पर्यावरण के प्रति सुसंगत मूल – स्थान प्रतिक्रिया के स्नैपशौट का अध्ययन करने में सक्षम बनाएंगे।   इस वैज्ञानिक कार्यशाला, जिसका आयोजन डीईएसवाई के दौरे के दौरान किया गया था, में भारतीय विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों तथा टाटा स्टील जैसे उद्योग के विशेषज्ञों जैसे लगभग 100 सहभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में नए शोध परिणामों पर रिपोर्ट की गई तथा डीईएसवाई एवं जर्मनी के साथ भविष्य के वैज्ञानिक अवसरों पर चर्चा की। यह सहयोग दोनों देशों की रणनीतिक साझीदारी के अनुरुप है, जो इस वर्ष भारत-जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।