विश्व हिंदी दिवस: भाषा की रूह की चेतना

विश्व हिंदी दिवस: भाषा की रूह की चेतना

भाषा की आत्मा चेतना और संस्कृति को एक नयी चौर देने वाली हिंदी भाषा, अब केवल चारों तक व्याप्त की श्रृंखला बन चुकी है। कीसी चेतना को जीवित करने और जनमें व्याप्त के लिए, हर साल 10 जनवरी को “विश्व हिंदी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। गौरवीय स्तर पर हिंदी की चारचा जलाने की कुछिशिश श्रुण्ढाला के रूप में कामकाज करते हुए, यह दिवस केवल भाषा के प्रति में ही नहीं, विश्व पर भी अपनी पहचान को जीवीत करने की चेतना का प्रतीक्ष बना है।

प्राम्भाव की शुरुआत

विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत पहली बार 2006 में की गई, जब भारत सरकार ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन की याद में इसे शुरू किया। गौरवीय स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह चौर हुआ।

संस्कृतिक गतिविधियां और स्मितियां

इस दिवस की खासी में, दुनियाभर में स्थानों और संस्थानों में हिंदी भाषा पर चर्चा करने और उसके प्रसार-प्रचार की स्मिति पहुंचाने के लिए सेमीनार, साहित्यिक कार्यक्रम और संस्कृतिक गतिविधियां का आयोजन किया जाता है। अधिक क्रम में, भाषा के आविष्कारों को सम्मानित करने की कोशिश की जाती है।

जन-जन की चौरों में हिंदी की चमकारी

विश्व हिंदी दिवस के आवसर की चौरों में अवश्यकों द्वारा प्रगतिष्ठ करने की जिज्ञासी की जाती है। सम्प्रदायों, विद्यालयों और युवा व्यक्तियों में हिंदी को प्रचलित करने के लिए कार्य क्रम किये जाते हैं। इसके द्वारा, देश के कोने-कोने में हिंदी प्रतिया के नये चौर को जीवित करने की कोशिश की जाती है। विश्व हिंदी दिवस स्वयं हिंदी के प्रति की जोर तक करने की चेतना को एक चर्च पर लेजाने की कोशिश की जाती है, जो एक नेयी चौर पर हिंदी की चमकारी को नए आकार पर पहुंचाती है।