भारत में जनसंख्या बृदधि मूल कारण – डॉ धन्ञजय सिंह

अमेठी

ब्यूरो रिपोर्ट- प्रेम कुमार शुक्ल, अमेठी

अमेठी । विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर अमेठी समाजशास्त्र परिषद के सौजन्य से आन-लाइन संगोष्ठी भारत की बढती जनसंख्या का विकास एवं पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर आन-लाइन चर्चा आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ धनन्जय सिंह ने कहा कि भारत में जनसंख्या वृद्धि का मूल कारण गरीबी और अशिक्षा है। हम आजादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं पर विकास की सभी नीतियां ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई । आज आवश्यकता है लोगों को जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने की । 11मई 2000 को भारत की जनसंख्या एक अरब हुई थी उसी समय सरकार ने जनसंख्या आयोग का गठन किया और जनसंख्या स्थिर करने का लक्ष्य रखकर नीति बनाई गई । हम दो हमारे दो की नीति केवल विज्ञापन का विषय बना हुआ है । सरकार को इसको लेकर कठोर नीति बनाने की जरूरत है । मुख्य अतिथि डाॅ त्रिवेणी सिंह ने कहा कि भारत में जनसंख्या वृद्धि साकारात्मक होगी जब वह कौशल से युक्त होगी।जनसंख्या नीति को धर्म और जाति को नजरिए से देखने की जरूरत नहीं है। हमें राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानना चाहिए । विशिष्ट अतिथि डाॅ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि बढती हुई जनसंख्या समाकालित विकास में बाधक है । वास्तविक विकास तभी सम्भव होगा जब प्रकृति और पर्यावरण में सामंजस्य होगा। जनसंख्या में उतार चढाव शाश्वत सत्य है । मुख्य वक्ता डाॅ कमलाशंकर सिंह राठौर ने कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति के अभाव ने विकास को प्रभावित किया है। आज विवाह की औसत उम्र बढ गई फिर भी जनसंख्या की वृद्धि नहीं रुकी है। जनसंख्या वृद्धि ने प्रकृति एवं पर्यावरण के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न किया । हमें स्वयं जागरूक होना होगा नहीं तो प्रकृति स्वयं जनसंख्या को नियंत्रित कर देगी । आभार व्यक्त करते हुए डाॅ दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि कठोर जनसंख्या नीति आज के भारत की जरूरत है । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बनाई जा रही नीति काफी सराहनीय है। वेबिनार में श्रीनाथ शुक्ला, धर्मेन्द्र सिंह ,सौरभ ,छाया शुक्ला,सुमित यादव, राहुल आदि लोगों ने भी विचार व्यक्त किया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *