ब्यूरो रिपोर्ट-प्रेम कुमार शुक्ल, अमेठी
- छप्पर और कच्चे मकान वालों को नहीं मिल रहा आवास
भादर /अमेठी। नीति नियंताओं द्वारा अनदेखी से गरीबों को मिलने वाले लोहिया आवास व प्रधानमंत्री आवास में जमकर धांधली की जा रही है। जहां अपात्रों को पात्र घोषित किया जा रहा है, वही पात्रों को अपात्र घोषित कर आवास का वितरण किया गया। आवास वितरण में मानकों की पूरी तरह से अनदेखी की गई जिसका जीता जागता उदाहरण विकासखंड भादर के खरगीपुर गांव में देखने को मिला। पीड़ित सुभाष कुमार ने इसकी शिकायत खंड विकास अधिकारी भादर, मुख्य विकास अधिकारी अमेठी सहित उच्चाधिकारियों से की। लेकिन अभी तक उच्चाधिकारियों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
खबर अमेठी जनपद के विकासखंड भादर के खरगीपुर मजरे रामपुर गांव की है । शिकायतकर्ता सुभाष कुमार ने विकास खंड अधिकारी भादर को दिए शिकायती प्रार्थना पत्र आरोप लगाया है कि सचिव व प्रधान दोनों मिलकर अपात्र लोगों से पैसा लेकर आवास आवंटित कर रहे है।गांव में दो मंजिला मकान वालो व सरकारी सेवारत में कार्यरत लोगो को आवास का आवंटन किया गया।ऐसे मामले में रिश्वत के रूप मोटी रकम संबंधित अधिकारियों को गलत करने के लिये बाध्य कर देती है।जिसका परिणाम यह है कि घास फूस की झोपड़ी में रहने वाले गरीबों को आवास नही मिल पाता है।प्रथम मामले में नन्हकऊ सुत अलगू जिनका रजिस्ट्रेशन नम्बर UP135201339 है | उनके घर में प्रदीप कुमार सरकारी नौकरी (इंडियन आर्मी ) में कार्यरत है। नेशनल हाइवे 330 पर उनका पक्का मकान बना हुआ है।इनको सरकारी आवास मानक के विपरीत दिया गया।जबकि दूसरा गुड्डू पत्नी परमेश्वर जिनका रजिस्ट्रेशन नम्बर UP135172939 है। इनके घर में मोटर साइकिल, जनरेटर, थ्रेशर और नेशनल हाइवे 330 पर इनका भी जमीन व मकान है। प्रधान व सचिव पैसा लेकर अपात्र लोगों को आवास आवंटित कर रहे है। पात्र लोगों को आवास नहीं मिल पा रहा है। इसके साथ ही साथ गांव में हुए विकास कार्यों मैं भी अनियमितता बरती गई है। शिकायतकर्ता ने उच्चाधिकारियों से मांग है कि नन्हकऊ सुत अलगू व गुड्डू पत्नी परमेश्वर का आवास आवंटन की जाँच करके उचित कार्यवाही की जाय एवं आवास को निरस्त करके जो खाते में किस्त आयी हो उसकी रिकवरी करने की जाय। यह तो महज एक बानगी का उदाहरण है यदि लोहिया व प्रधानमंत्री आवास की खरगीपुर मजरे रामपुर गांव की जांच की जाए तो दर्जनों अपात्र लोगों को आवास का आवंटन किया गया ।अब देखना यह है कि अधिकारी अपात्र लोगों को मिले आवास को रद्द करते हैं या शिकायत महज कागजों में सिमट कर रह जाएगी। इस बारे में जब सेक्रेटरी के नंबर पर बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।