गोरखपुर जनपद के दक्षिणांचल स्थित विकासखंड बेलघाट के बलुआ भवानी बक्स सिंह ग्राम सभा के (पाण्डेयपुरा) गांव में रविवार का दिन शोक में बदल गया, जब गाँव के 20 वर्षीय विजय की सरयू नदी में डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। विजय, त्रिवेणी का बेटा और परिवार का चिराग, जब संतकबीरनगर जनपद के धनघटा थाना क्षेत्र के चाँणीपुर घाट के पास नहाने गया था, तब किसी को यह अंदेशा भी नहीं था कि यह उसकी अंतिम यात्रा होगी। विजय का डूबना परिवार और गाँव के लिए एक गहरे सदमे जैसा था। घटना के बाद गांव में मातम का माहौल छा गया। विजय अपने परिवार के तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे और उनके पिता बाहर मजदूरी करते हैं। जब यह दर्दनाक समाचार विजय के परिवार तक पहुंचा, तो उनके घर में चीख-पुकार मच गई। रोते-बिलखते परिजनों का हाल बेहाल था। विजय का हंसमुख स्वभाव और उसकी सादगी सभी के दिलों में बसी थी, और अब वही चेहरे से खुशियों का नूर छिन गया था।
घटना की सूचना मिलते ही धनघटा थाना प्रभारी अनिल कुमार अपनी टीम के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को सूचित किया। वहीं, स्थानीय गोताखोरों ने भी नदी में उतर कर विजय की तलाश शुरू की, परंतु नदी की गहराई और बहाव के कारण उनका प्रयास विफल रहा। दर्द तब और बढ़ गया जब एसडीआरएफ की टीम का इंतजार करते हुए परिजनों और ग्रामीणों का धैर्य टूटने लगा। देर शाम तक एसडीआरएफ की टीम नहीं पहुंच सकी, जिससे स्थानीय लोग नाराज हो गए। जैसे-जैसे समय बीतता गया, परिजनों के मन में आशंका और भय गहराता चला गया। आखिरकार, शाम 5 बजे एसडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची और उन्होंने शव को खोजने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन विजय का शव अभी तक नहीं मिल पाया है।
इस हृदयविदारक घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। विजय के असमय निधन ने उसके परिवार और दोस्तों को अंधकार में धकेल दिया है। विजय अपने माता-पिता का सहारा था, और उसके उज्ज्वल भविष्य के सपने अब हमेशा के लिए अधूरे रह गए हैं। पिता जो परदेस में मजदूरी करते थे, उन्हें यह खबर किस कदर तोड़ देगी, यह कल्पना से परे है।गांव के लोग अब भी उम्मीद की नजर से नदी की ओर देख रहे हैं, जहां विजय का शव मिलने की आस अब भी बाकी है। इस घटना ने जहां एक ओर प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी याद दिलाया है कि नदी किनारे नहाने के दौरान सतर्कता बरतनी कितनी जरूरी है। समाज के लिए यह घटना एक सबक है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सचेत रहना ही जीवन की रक्षा कर सकता है। विजय का इस तरह असमय जाना एक बहुत बड़ी क्षति है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है।