सशस्त्र बलों के लिए भरोसेमंद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रूपरेखा और दिशा-निर्देशों का अनावरण: आधुनिक युद्ध के लिए एआई को मजबूत बनाने की पहल

दिल्ली

नई दिल्ली: भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सशस्त्र बलों के लिए विश्वसनीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ईटीएआई) की रूपरेखा और दिशा-निर्देशों का अनावरण किया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत की उपस्थिति में यह महत्वपूर्ण घोषणा की गई।अपने संबोधन में जनरल अनिल चौहान ने वैश्विक संघर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित किया और कहा कि आधुनिक युद्ध में एआई के इस्तेमाल से क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भरोसेमंद और लचीली एआई प्रणाली, जो शत्रुओं के आक्रमणों से सुरक्षित हो, सशस्त्र बलों के लिए समय की मांग है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय को इस दिशा में किए गए उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और ईटीएआई फ्रेमवर्क के महत्व पर बल दिया।डॉ. समीर वी. कामत ने इस अवसर पर कहा कि एआई की विश्वसनीयता और मजबूती अब वैकल्पिक नहीं रह गई है, बल्कि मिशन की सफलता के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि भविष्य के अभियानों की सफलता के लिए एआई अनुप्रयोगों का सुरक्षित, पारदर्शी और मजबूत होना बेहद जरूरी है।

ईटीएआई फ्रेमवर्क पांच प्रमुख सिद्धांतों—विश्वसनीयता, सुरक्षा, पारदर्शिता, निष्पक्षता और गोपनीयता—पर आधारित है। इसे रक्षा क्षेत्र में एआई के उपयोग के लिए एक जोखिम-आधारित मूल्यांकन प्रणाली के रूप में डिजाइन किया गया है, जो अन्य क्षेत्रों में भी लागू हो सकता है। डॉ. सुमा वरुगीस, जो माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक, कम्प्यूटेशनल और साइबर सिस्टम की महानिदेशक हैं, ने बताया कि इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य एआई की सुरक्षा और प्रभावशीलता को बढ़ाना है। इसके साथ-साथ निर्माताओं और मूल्यांकनकर्ताओं के लिए भी विश्वसनीय एआई निर्माण की प्रक्रिया को और अधिक संरचित बनाने पर जोर दिया गया है।यह पहल सशस्त्र बलों को न केवल अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित करेगी, बल्कि यह सुनिश्चित करेगी कि रक्षा प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग विश्वसनीय, सुरक्षित और आधुनिक युद्ध की आवश्यकताओं के अनुरूप हो।