साढ़े तीन माह पूर्व चुनाव प्रचार के दौरान हमला कर करीब आधा दर्जन लोगों को किया गया था घायल,इमरान की हो गई थी मौत,पूर्व जिपं सदस्य-आलम अब भी जूझ रहा जिंदगी-मौत के बीच
हत्याकांड में शामिल 27 लोगों का नाम आया सामने,मात्र आधा दर्जन गये जेल,पांच की विवेचना में हो रहा खेल,शेष की नहीं हो रही गिरफ्तारी,पुलिस निभा रही यारी
ब्यूरो रिपोर्ट- प्रेम कुमार शुक्ल, अमेठी
अमेठी। चुनाव प्रचार के दौरान साढ़े तीन माह पहले हुई इमरान की हत्या एवं अन्य पर हुए जानलेवा हमले के मामले में मुसाफिरखाना कोतवाल के जरिए घटना में शामिल आरोपियों को संरक्षण देने एवं सेटिंग-गेटिंग कर उनका नाम निकालने की बात सामने आ रही है। कोतवाल की तफ्तीश पर सवाल उठाते हुए उनकी करतूत की शिकायत सीएम योगी से कर पीड़ित परिवार ने निष्पक्ष जांच को लेकर विवेचना ट्रांसफर कराने की मांग की है, फिलहाल पुलिस अधिकारी मामले में क्या गुल खिलाते हैं यह सामने आना अभी शेष है।
मामला मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र के औरंगाबाद गांव से जुड़ा है। जहाँ के रहने वाले अमीर उल्ला ने बीते 25 अप्रैल की घटना बताते हुए मुसाफिरखाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक घटना के दिन वह आपने परिवारीजनों व करीबियों के साथ चुनाव प्रचार में जा रहा था, इसी दौरान आरोपीगण मोईन,मोतीन,मोजीन, मो कमर, सोहेल एवं इनके अन्य कई सह आरोपियों ने मिलकर ईट-पत्थर से हमला कर एवं लाठी-डंडे से पीट-पीटकर वादी पक्ष के लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। जिसमें पूर्व जिला पंचायत सदस्य मो आलम, मो आजम, इमरान, मो जमा, मो नासिर, मंशूर अहमद व एहसान अहमद समेत अन्य को गंभीर चोट आई थी। हमले में घायल इमरान की इलाज के दौरान घटना में आई चोटों के चलते मौत हो गई, जबकि मो आलम जिंदगी मौत के बीच अब भी जूझ रहा है। मामले में तफ्तीश के दौरान घटना मे शामिल कई आरोपियों का नाम सामने आया, जिनके खिलाफ वादी पक्ष ने सबूत भी उपलब्ध कराए एवं चश्मदीद गवाहों ने अपनी गवाही भी दी। बावजूद इसके कोतवाल के जरिए घटना में शामिल आरोपी मुकीम अहमद,नफीस अहमद, दानिश सुत इरशाद,दानिश सुत अमीउल्ला व अरबाज निवासीगण औरंगाबाद का नाम मुल्जिमानो की पैरवी पर मनमानी तफ्तीश के सहारे निकाल देने की मंशा बनाने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि घटना में शामिल कुल 27 आरोपियों का नाम सामने आया, जिनमें से पुलिस मात्र अभी तक करीब आधा दर्जन लोगों को ही जेल भेज सकी है, शेष आरोपी पुलिसिया संरक्षण मिलने की वजह से अब तक जेल जाने से बचे हुए है,जबकि करीब आधा दर्जन आरोपी सेटिंग-गेटिंग के बल पर मुकदमे से अपना नाम ही निकालने की व्यवस्था बना लिए है। आरोप है कि मुल्जिमानो के प्रभाव में पुलिस तफ़्तीशी खेल कर उन्हें संरक्षण दे रही है। पीड़ित पक्ष मोहम्मद आजम ने प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं डीजीपी समेत अन्य से कर कोतवाल की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए हत्याकांड की जांच अन्य किसी जांच एजेंसी अथवा अन्य थाने की पुलिस से कराए जाने की मांग की है। बताया जा रहा है कि मामले की तफ्तीश कर रहे मुसाफिरखाना कोतवाल परशुराम ओझा आरोपियों को बचाने के लिए उनके प्रभाव में कुछ भी करने को उतारू है। जिनकी करतूत का मामला सीएम योगी तक पहुँच गया है। अब देखना है कि जिम्मेदार अफसर हत्याकांड की निष्पक्ष जांच के लिए विवेचना को ट्रांसफर करने समेत अन्य कोई कदम उठाते है या फिर जिस कोतवाल की मनमानी तफ्तीश के चलते उस पर दाग लग रहा है उसी की कहानी को संरक्षण देते हुए शिकायत नजरअंदाज कर सब कुछ हजम कर लेते है।