अमेठी। 29 सितम्बर 2021, जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमेठी ने बताया कि वर्तमान मौसम के दृष्टिगत खरीफ की प्रमुख खाद्यान्न फसल धान में कीट के प्रकोप की सम्भावना बढ़ गयी है। जिसमें मिथ्या कण्डुआ, झोका रोग, भूरा फुदका व गन्धी बग कीट/रोग के प्रकोप परिलक्षित होने पर किसान अपने फसल में मिथ्या कण्डुआ के प्रकोप की सम्भावना होने पर स्यूडोमोनास फ्लोरिसेंस 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में 15-20 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें तथा लक्षण दिखने पर कापर हाइड्राक्साइड 77 प्रतिशत डब्यू.पी. 1500 ग्राम मात्रा अथवा पिकोसीस्ट्रोबिन 7.05 प्रतिशत + प्रोपिकोनाजोल 11.7 प्रतिशत ए.सी. की 1000 ग्राम मात्रा 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। झोका रोग में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का संस्तुत प्रयोग करें तथा नियंत्रण हेतु इडीफेनफॉस 50 प्रतिशत ई.सी. 500-600 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 750-1000 लीटर पानी में अथवा मैकोजेब 75 प्रतिशत डब्यू.पी. 1500-2000 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में छिड़काव करें। भूरा फुदका से बचाव के लिए अत्यधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरक प्रयोग न करें व यथासम्भव जल निकास को अपनाना चाहिए एवं इसके प्राकृतिक शत्रु जैसे मकड़ी, लाइकोसा स्यूडोएनुलेटा एवं अर्मीओ स्पेसीज को संरक्षण देना चाहिए। कीट नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टिन 0.03 प्रतिशत डब्यू.एस.पी. 2000 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें एवं इस कीट की संख्या आर्थिक क्षति स्तर (5 से 10 कीट प्रति हिल) पर होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस0एल0 की 100-125 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा थायोमेथाक्सॉन 25 प्रतिशत डब्यू.जी. 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि गन्धी बग में एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ई.सी. की 2500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें तथा नियंत्रण हेतु मैलाथियान 5 प्रतिशत अथवा फेनवैलरेट 0.04 प्रतिशत धूल 20000-25000 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव करें।