मन वचन कर्म से एक होते हैं महात्मा  –  आचार्य विनोद

गोरखपुर

मन वचन कर्म से एक होते हैं महात्मा  –  आचार्य विनोद

ब्यूरो प्रमुख – एन अंसारी गोरखपुर

गोला बाजार – गोरखपुर । महात्माओं की पहचान विलक्षण है। महात्मा वे हैं जिनकी आत्मा महान हो, जिनके मन, वचन ,कर्म  में एकता हो, जिनमे देशगत, जातिगत संकीर्णता न हो।जो मन में विचार आते हो वाणी में वही व्यक्त हो तथा क्रिया में वही आचरित हो।

उक्त विचार गोला बिकास खण्ड के भटनीपार खुर्द गांव में श्री शतचन्डी महायज्ञ में आयोजित  राम कथा के छठे दिन शुक्रवार को अयोध्या से पधारे मानस मर्मज्ञ आचार्य विनोद महाराज ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए व्यक्त की। आगे उन्होंने कहा कि इस दुनिया में धनिकों की कमी नहीं है, धर्म के तथाकथित ठेकेदार भी सर्वत्र बिलबिला रहें हैं ।बहुतों ने तो  मानव सेवा के नाम पर बड़े – बड़े धार्मिक संस्थान भी खोल रखें हैं। राजनेताओं ने तो मानव सेवा के नाम पर स्वयं को सबसे बड़ा समाजसेवी मानने की आदत बना ली है।इसके पूर्व कथा का शुभारंभ सेवा निवृत शिक्षक असीसंगम दुबे एवम् आजाद पांडेय ने व्यास पीठ की आरती करके कथा का शुभारंभ किया। आयोजक समिति के मुखिया सेवा निवृत शिक्षक उपेंद्र मिश्र ने सभी आगंतुकों का आभार प्रकट किया।  इस अवसर पर प्रमुख रूप से  ब्रह्म जीत दुबे, श्याम मुरारी यादव, उमाकांत मिश्र, सोशल मिश्र, धरणीधर दुबे,  शशिधर मिश्र, सत्यप्रकाश यादव, श्यामदेव यादव,  रामसिद्ध डूबे, राजेंद्र सिंह पटेल,रामजनम यादव, अमित मिश्र, शिवप्रसाद मिश्र, सूरज मिश्र आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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