- कूटरचित स्टाम्प तैयार कर प्रतिरूपण द्वारा अवैध मुहर का प्रयोग कर धोखाधड़ी करने के आरोप में 07 नफर अभियुक्त गिरफ्तार, कब्जे से कूटरचित न्यायिक व गैर न्यायिक स्टाम्प कीमती 01 करोड़ 52 हजार 30 रूपये व प्रिन्टिग से सम्बन्धित उपकरण बरामद
संवाददाता__नरसिंह यादव, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
जनपद गोरखपुर में धोखाधड़ी के अपराधों पर अंकुश लगाने एवं अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु चलाये जा रहे अभियान के क्रम में, पुलिस अधीक्षक नगर के मार्गदर्शन में, स0पु0अ0/ क्षेत्राधिकारी कैण्ट गोरखपुर के पर्यवेक्षण में विशेष टीम (SIT) का गठन कर, एसओजी टीम व सर्विलांस टीम द्वारा थाना कैण्ट पर पंजीकृत मु0अ0सं0 14/2024 धारा 255/258/259/260/419/420/467/468/471/474/120 (बी) भादवि0 से संबंधित अभियुक्त 1. मोहम्मद कमरूद्दीन 2. साहेबजादे 3. रामलखन जायसवाल 4. ऐश मोहम्मद 5. रविन्द्र दीक्षित 6. सन्तोष गुप्ता व 7. नन्दू उर्फ नन्दलाल को गिरफ्तार किया गया, कब्जे से कूटरचित न्यायिक व गैर न्यायिक स्टाम्प कीमती 01 करोड़ 52 हजार 30 रूपये व प्रिन्टिग से सम्बन्धित उपकरण बरामद किया गया । अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।
घटना का संक्षिप्त विवरण-
एक प्रकरण में मा0 न्यायालय में सिविल सूट सं0 10/21 दाखिल किया गया था । जिसमें कोर्ट फीस के रूप में 53,128 रूपये का स्टाम्प लगाया गया था । मुकदमें में मेरिट के आधार पर निस्तारण होने पर कोर्ट फीस वापस नहीं होती है । अभियुक्त द्वारा इसी बात का फायदा उठाने के उद्देश्य से उक्त कूटरचित स्टाम्प विक्रय किया गया था, चूँकि उक्त वाद में सुलह समझौता के आधार पर मुकदमें का निस्तारण लोक अदालत में हुआ था, अतः स्टाम्प वापसी हेतु आवेदन कोषागार कार्यालय गोरखपुर में किया गया । उक्त कूटरचित स्टाम्प सदर तहसील गोरखपुर के कोषागार से जारी न होने के कारण उसकी जाँच भारतीय प्रतिभूति मुद्रणालय नासिक प्रयोगशाला से कराई गयी तो 05-05 हजार के दस स्टाम्प (कुल 50 हजार) कूटरचित पाया गया । जिसके संबंध में उपनिबंधक प्रथम सदर तहसील गोरखपुर के प्रार्थना पत्र के आधार पर मुकदमा उपरोक्त पंजीकृत किया गया । विवेचना के दौरान प्रकाश में आये अभियुक्त रवि दत्त मिश्रा को दिनांक 19.01.2024 को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जा चुका है, जिससे पूछताछ के दौरान अन्य अभियुक्तों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त हुई ।
प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर विवेचनात्मक कार्यवाही की गयी, जिसके क्रम में ज्ञात हुआ कि अभियुक्त कमरूद्दीन, साहेबजादे व नवाब आरजू उर्फ लालू तीनों मिलकर बिहार के सिवान जिले में अवैध / कूटरचित स्टाम्प, टिकट, करेन्सी नोट आदि स्वयं द्वारा प्रिन्टिग कर तैयार करते थे, जिन्हे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, सहित अन्य जनपदों व बिहार राज्य में स्टाम्प वेडरों से सम्पर्क कर सप्लाई करते थे, जिनका प्रयोग न्यायालय में दाखिल वाद व लोगों द्वारा कराये जा रहे रजिस्ट्री बैनामा में पूर्ण प्रतिफल देते हुए स्टाम्प वेडरों से क्रय करते थे । पूर्व में कमरूद्दीन को वर्ष 1986 व 2014 में उक्त अपराध में गिरफ्तार कर बिहार पुलिस द्वारा जेल भेजा चुका है तथा अभियुक्त नवाब आरजू उर्फ लालू भी उक्त प्रकृति के अपराध में थाना मोफस्सिल से कुछ वर्ष पूर्व जेल गया था, जो 01 वर्ष पूर्व ही जमानत पर रिहा हुआ है । बिहार पुलिस द्वारा अभियुक्त नवाब आरजू उर्फ लालू की तलाश की जा रही थी, जिसके डर के कारण उक्त अभियुक्तगण अपना कारोबार जनपद गोरखपुर में स्थापित करना चाहते थे ।