कायस्थ समाज के लोगों ने भगवान चित्रगुप्त की मनाई जयंती

अमेठी

ब्यूरो रिपोर्ट – प्रेम  कुमार  शुक्ल, अमेठी  

अमेठी – जनपद के विभिन्न स्थानों पर कायस्थ समाज के लोगों ने भगवान चित्रगुप्त जयंती के अवसर पर कलम दवात पूजन एवं हवन कार्यक्रम का आयोजन किया, कार्यक्रम का आयोजन ग्राम पंचायत पूरे गणेश लाल के मां दुर्गा मंदिर के परिसर में किया गया, इस दौरान अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मीडिया प्रकोष्ठ संतोष श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, अपना कायस्थाना ग्रुप के सतीश श्रीवास्तव योगेंद्र श्रीवास्तव प्रदीप श्रीवास्तव अशोक श्रीवास्तव ओम प्रकाश श्रीवास्तव पंकज श्रीवास्तव दीपक श्रीवास्तव मनोज श्रीवास्तव सहित काफी संख्या में कायस्थ बंधुओं ने भगवान चित्रगुप्त के चित्र पर माल्यार्पण कर हवन पूजन कार्यक्रम किया, इस दौरान पूजा कार्यक्रम को करौंदी निवासी राजीव श्रीवास्तव ने संपन्न करवाया, पूजन कार्यक्रम को लेकर लोगों में आप से में चर्चा हुई, इसके इसके अलावा गौरीगंज स्थित धर्मपुर में पूर्व प्राचार्य सुरेंद्र नाथ श्रीवास्तव के नेतृत्व में भगवान चित्रगुप्त जयंती के अवसर पर पूजन अर्चन कार्यक्रम किया गया इस दौरान अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिला अध्यक्ष सतीश श्रीवास्तव राजनीतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र श्रीवास्तव पप्पू लाला अनुपम श्रीवास्तव दीपक श्रीवास्तव रजनीश श्रीवास्तव सहित अन्य कायस्थ
परिवार के लोगों ने पूजन अर्चन किया, पूजन अर्चन कार्यक्रम के दौरान क्यों कायस्थ 24 घंटे के लिए नही करते कलम का उपयोग, जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण छुट जाने से नाराज भगवान् चित्रगुप्त ने रख दी थी कलम , उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं यानी किसी भी तरह का का हिसाब – किताब नही करते है आखिर ऐसा क्यूँ है ? कि पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन पूजन के बाद कलम रख देते है और फिर यमदुतिया के दिन कलम- दवात के पूजन के बाद ही उसे उठाते है I इसको लेकर सर्व समाज में कई सवाल अक्सर लोग कायस्थों से करते है ? ऐसे में अपने ही इतिहास से अनभिग्य कायस्थ युवा पीढ़ी इसका कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाती है I जब इसकी खोज की गई तो इससे सम्बंधित एक बहुत रोचक घटना का संदर्भ हमें किवदंतियों में मिला I कहते है जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की व्यवस्था करने को कहा I गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्यतिलक की तैयारी शुरू कर दीं I ऐसे में जब राज्यतिलक में सभी देवीदेवता आ गए तब भगवान् राम ने अपने अनुज भरत से पूछा भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे है इस पर जब खोज बीन हुई तो पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं था जिसके चलते भगवान् चित्रगुप्त नहीं आये I इधर भगवान् चित्रगुप्त सब जान चुके थे और इसे प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे । फलस्वरूप उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया I सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे , प्राणियों का का लेखा जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहाँ भेजे Iतब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर ( श्री अयोध्या महात्मय में भी इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।) *में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद भगवान राम के आग्रह मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (२४ घंटे बाद ) पुन: कलम दवात की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया I कहते तभी से कायस्थ दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और यमदुतिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है,

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