अमेठी, रायबरेली, और कैसरगंज के नामांकन में 27 घंटे शेष, भाजपा और कांग्रेस में असमंजस

अमेठी, रायबरेली, और कैसरगंज के नामांकन में 27 घंटे शेष, भाजपा और कांग्रेस में असमंजस

अमेठी: आगामी चुनावों के लिए नामांकन की समयसीमा निकट है, लेकिन अभी तक भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस को टिकटों के ऐलान को लेकर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि भाजपा भी रायबरेली और कैसरगंज के उम्मीदवारों की घोषणा में हिचकिचा रही है। 

भाजपा में टिकट को लेकर तनाव

भाजपा के लिए राष्ट्रीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और देश के कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटने के संभावित नफा-नुकसान पर विचार किया जा रहा है। बृजभूषण शरण सिंह एक प्रभावशाली नेता हैं, और उनके टिकट काटने से पूर्वांचल में भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, रायबरेली में भाजपा को अभी तक कोई सटीक उम्मीदवार नहीं मिल रहा है, जिससे पार्टी में चिंता बढ़ गई है। 

बृजभूषण शरण सिंह का भविष्य

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत अन्य बड़े नेताओं के लिए बृजभूषण शरण सिंह के टिकट को लेकर निर्णय लेना कठिन हो गया है। बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में बड़ी संख्या में समर्थक हैं, और उनके टिकट काटने से पार्टी को पूर्वांचल में राजनीतिक रूप से नुकसान हो सकता है। 

कांग्रेस में रायबरेली को लेकर चुप्पी

वहीं, कांग्रेस के लिए रायबरेली में उम्मीदवारों के ऐलान को लेकर चुप्पी बनी हुई है। कांग्रेस के इस संकोच ने भाजपा को भी उलझन में डाल दिया है, क्योंकि रायबरेली एक महत्वपूर्ण सीट है, जहां पार्टी को सटीक उम्मीदवार की आवश्यकता है। कांग्रेस के इस अनिश्चितता से भाजपा में हलकान का माहौल है, क्योंकि इससे चुनावी तैयारी पर असर पड़ सकता है।

आखिरी समय में फैसला

चुनावी नामांकन के लिए समय सीमा तेजी से नजदीक आ रही है, और अब भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व को अंतिम फैसले लेने होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों दल अपने-अपने उम्मीदवारों का चयन कैसे करते हैं और इन सीटों पर चुनावी मुकाबला कैसे तैयार होता है। 

केंद्रीय नेतृत्व के इस असमंजस ने आगामी चुनावों के लिए राजनीतिक माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। अब सभी की नजरें भाजपा और कांग्रेस के अंतिम निर्णयों पर टिकी हैं, जो अगले कुछ घंटों में स्पष्ट हो सकते हैं। इन निर्णयों का असर आगामी चुनावों पर गहरा पड़ सकता है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों दल कैसे इस स्थिति का सामना करते हैं।