केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने विशाखापत्तनम में मत्स्य निर्यात संवर्धन परामर्श की अध्यक्षता की, झींगा पालन पर जोर
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी और पंचायती राज मंत्री, श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में ‘मत्स्य निर्यात संवर्धन पर हितधारक परामर्श’ की अध्यक्षता की, जिसका ध्यान झींगा पालन और मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना है। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन भी इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए।
केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया, जो 9 प्रतिशत की मजबूत विकास दर से आगे बढ़ रहा है। उम्मीद है कि यह वृद्धि 2047 तक विकसित भारत के लिए एक आधारशिला का काम करेगी है। भारत सरकार ने मत्स्य पालन क्षेत्र की विशाल क्षमता का लाभ उठाते हुए देश को अंतर्राष्ट्रीय प्रसंस्करण हब में परिवर्तित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया। प्रमुख पहलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डिजिटल प्रौद्योगिकियों को शामिल करते हुए स्मार्ट और एकीकृत बंदरगाहों विकास के माध्यम से पता लगाने योग्य और चिरस्थायी मछली निर्यात का समर्थन करने के लिए मत्स्य पालन क्षेत्र का डिजिटलीकरण करना शामिल है। इसके अलावा उन्होंने इस क्षेत्र को बढ़वा देने के लिए झींगा पर केंद्रित न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर की स्थापना के लिए नए बजटीय आवंटन पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय मंत्री ने टूना मछली के निर्यात पर विशेष बल देने के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के साथ-साथ लक्षद्वीप द्वीप समूह में मछली पकड़ने की उन्नत अवसंरचनात्मक योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र में विभिन्न स्टार्ट-अप के प्रयासों की सराहना की गई और समुद्री खाद्य निर्यातकों को मूल्य संवर्धन बढ़ाने और आर्थिक प्राप्ति में सुधार लाने के लिए अपने प्रसंस्करण संयंत्रों का आधुनिकीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया। रोग मुक्त ब्रूडस्टॉक और बीज का भरण-पोषण करने में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने हेतु व्यापक सिफारिशें प्रदान करने के लिए एक समिति की स्थापना की जाएगी।
श्री जॉर्ज कुरियन ने इस बात की जानकारी दी कि सरकार ने मत्स्य पालन विभाग के लिए वित्तीय आवंटन में बढ़ोत्तरी की है और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत वित्त पोषण को भी बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 30 अगस्त, 2024 को महाराष्ट्र के पालघर में उद्घाटन की गई 218 नई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में 1,564 करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन का भी उल्लेख किया गया, जिनसे पांच लाख से ज्यादा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होने की संभावना है। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने जलीय कृषि क्षेत्र को लाभान्वित करते हुए फ़ीड इनपुट और सामग्री पर आयात शुल्क कम कर दिया है। राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा आयोजित इस बैठक में एसईएआई, एआईएसएचए, पीएफएफआई, आईएमआईए, ओएफटीआरआई के प्रतिनिधियों के साथ-साथ उद्यमियों, केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों और अनुसंधान संगठनों ने हिस्सा लिया।
डॉ. अभिलक्ष लिखी, सचिव, मत्स्य पालन विभाग ने पीएम-एमकेएसवाई की नई योजना के माध्यम से मत्स्य क्षेत्र को औपचारिक रूप प्रदान करने, समुद्री शैवाल, सजावटी मत्स्य पालन और मोती संवर्धन जैसे क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित विकास सहित मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भारत सरकार द्वारा की गई पहलों और योजनाओं पर प्रकाश डाला। ‘मत्स्य निर्यात संवर्धन पर हितधारक परामर्श’ में मत्स्य किसानों, मछुआरों, उद्योग के दिग्गजों, समुद्री खाद्य निर्यातकों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं सहित विभिन्न हितधारकों की भागीदारी देखी गई।
राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा आयोजित इस बैठक में श्री एलियास सैत, महासचिव, भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (एसईएआई), श्री रवि कुमार येलंकी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय झींगा हैचरीज एसोसिएशन (एआईएसएचए), श्री आई.पी.आर मोहन राजू, अध्यक्ष, झींगा किसान संघ (पीएफएफआई), श्री मोहम्मद दाऊद सैत, अध्यक्ष, भारतीय समुद्री घटक संघ (आईएमआईए), डॉ. अतुल कुमार जैन, अध्यक्ष, सजावटी मत्स्य प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (ओएफटीआरआई) सहित उद्यमियों, केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियों और अनुसंधान संगठनों ने हिस्सा लिया।
मत्स्य पालन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख तत्व है, जो राष्ट्रीय आय, निर्यात और खाद्य सुरक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसे प्रायः 'सनराइज सेक्टर' के रूप में जाना जाता है, यह लगभग 30 मिलियन लोगों का जीवन-यापन करता है, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले के समुदायों के लिए। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मत्स्य उत्पादक देश के रूप में, भारत 2022-23 में 17.5 मिलियन टन का ऐतिहासिक उत्पादन कर मील का पत्थर प्राप्त किया, जो वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान है। यह क्षेत्र देश के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में अपनी 1.09 प्रतिशत हिस्सेदारी और कृषि सकल मूल्य वर्धित में 6.72 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी को रेखांकित करता है।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग ने विशाखापत्तनम में झींगा पालन और मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ‘मत्स्य निर्यात संवर्धन पर हितधारक परामर्श’ का आयोजन किया।
मत्स्य निर्यात संवर्धन पर हितधारक परामर्श में मत्स्य किसानों, मछुआरों, उद्योग के नेताओं, समुद्री खाद्य निर्यातकों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं सहित विभिन्न हितधारकों की भागीदारी देखी गई।
इस बैठक में नवाचार, स्थिरता और मूल्य संवर्धन पर ध्यान केंद्रित किया गया और इसने वैश्विक समुद्री खाद्य बाजार में भारत की स्थिति को बढ़ावा देने और मत्स्य किसानों और तटीय समुदायों के लिए समावेशी विकास को आगे बढ़ने पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। प्रतिभागियों ने उत्पादकता बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और समुद्री खाद्य निर्यात और मूल्य श्रृंखला में पता लगाने की क्षमता में सुधार लाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं, चिरस्थायी जलीय कृषि प्रौद्योगिकियों और अवसंरचना विकास पर चर्चा की। परामर्श में वैश्विक समुद्री खाद्य बाजारों में भारत की पहुंच का विस्तार करने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीति तैयार करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे विविध प्रकार की मछली, समुद्री शैवाल और समुद्री खाद्य उत्पादों की निर्यात क्षमता को अधिकतम किया जा सके और पूरे देश के लाखों मछुआरों, तटीय समुदायों और मत्स्य किसानों की आजीविका का समर्थन किया जा सके।
इस पहल से मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई, यह सुनिश्चित किया गया कि यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता और लाखों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत बना रहेगा। इस सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से, भारत सरकार ने मत्स्य पालन क्षेत्र में समावेशी विकास, लचीलापन और निर्यात को बढ़ावा देने और अंततः देश की नीली अर्थव्यवस्था में योगदान देने की बात की।