भारत: अशोक राज की स्थापना की दिशा में अग्रसर

भारत: अशोक राज की स्थापना की दिशा में अग्रसर

लिखने की पूरी तरह मुफ्त शिक्षा का प्रावधान था। विदेशों से विद्यार्थी यहां पढ़ने आते थे। त्वरित न्याय की व्यवस्था थी, किसी के साथ अन्याय या शोषण हो ही नही सकता था। देश सोने की चिड़िया थी अर्थात पूरे विश्व में जितना सोना था उसका आधा हमारे पास था अर्थात हमारी जीडीपी 50% थी। हम पूरे विश्व में सबसे ताकतवर और धनवान थे। बाहरी आक्रमणकारी हमसे थर थर कांपते थे। किसी को हिम्मत नही होती थी कि चूं तक कर दे। अन्य राजागण सम्राट अशोक महान से राज काज चलाने की प्रेरणा कल भी लेते थे और आज भी लेते है।

सम्राट अशोक महान की शासन प्रणाली, नीति सिद्धांत पर हमारा संविधान हमारे आपके लिए रक्षा कवच बना हुआ है। तिरंगे झंडे में धर्म चक्र, राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में लाट अर्थात अशोक स्तंभ आज सम्राट अशोक की बदौलत है और भारत की ललाट को सुशोभित कर रहा है।

हमें सम्राट अशोक महान को अपना आदर्श मानकर उनको फॉलो करना पड़ेगा तभी हम इस देश की सत्ता को फिर हथिया सकते है और भारत देश में फिर से अशोका राज की स्थापना कर सकते है।

इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमने बीआरपी का गठन किया और लगातार सत्ता की तरफ अग्रसर है। सम्राट अशोक महान से प्रेरणा लेकर हमने भारत देश को ऐसा राजनीतिक प्लेटफार्म दिया है जिसमें हर तबके को समान भागीदारी और अधिकार सुरक्षित है। बस आपको सिर्फ एक साथ एक दिशा में चलने की जरूरत है। हम भारत को फिर से स्वर्णिम बनाएंगे।।