एनसीजीजी ने लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के लिए सुशासन पर पहला अग्रिम नेतृत्व कार्यक्रम शुरू किया

एनसीजीजी ने लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के लिए सुशासन पर पहला अग्रिम नेतृत्व कार्यक्रम शुरू किया

राष्‍ट्रीय सुशासन केन्‍द्र (एनसीजीजी) ने सार्वजनिक नीति और सुशासन पर अपना पहला अग्रिम नेतृत्व विकास कार्यक्रम शुरू किया है, जिसे लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। दो सप्ताह का यह कार्यक्रम 2 से 13 सितंबर 2024 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 10 देशों के 22 सिविल सेवक भाग ले रहे हैं। इसमें अर्जेंटीना, कोस्टारिका, अल साल्वाडोर, गुयाना, होंडुरास, जमैका, पैराग्वे, पेरू, सेंट किट्स एंड नेविस और सूरीनाम के सिविल सेवक शामिल हैं।

आज सचिव डीएआरपीजी और डीजी एनसीजीजी श्री वी. श्रीनिवास ने 10 लैटिन अमेरिकी देशों के 22 अधिकारियों के साथ बातचीत की। लैटिन अमेरिकी देशों और भारत में शासन मॉडल में समानताओं पर चर्चा की गई। प्राथमिकता क्षेत्र की योजनाओं का संतृप्ति दृष्टिकोण सरकार के सर्वांगीण, सर्वव्यापी और सर्व समावेशी विकास मॉडल का परिभाषित लक्ष्य रहा है। विकसित भारत का लक्ष्य - "अमृत काल के पंच प्रण" – गुलामी से मुक्ति, विरासत पर गर्व करना और नागरिकों में एकता और कर्तव्य की भावना अमृत काल में सुशासन के मूलभूत सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। राष्ट्र ने अगली पीढ़ी के सुधारों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि नागरिकों को सशक्त बनाना और अंतिम मील तक पहुँचना विकसित भारत@2047 के लिए प्राथमिकताओं के रूप में है। अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे, विश्व स्तरीय विनिर्माण, अत्याधुनिक नवाचार और नए युग की प्रौद्योगिकी की खोज है। सूचना प्रौद्योगिकी ने एक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी लाभ सक्षम किया, सरकार की हर शाखा में कार्य प्रक्रियाओं को बदल दिया और नागरिकों को सरकार के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान की।

दो सप्ताह के कार्यक्रम में विभिन्न विषयों को शामिल किया जाएगा, जैसे आधार कार्ड सुशासन का एक साधन, कौशल भारत: नीति और अभ्यास, सतर्कता प्रशासन, शासन में नेतृत्व और प्रेरणा, भारत की राजकोषीय और मौद्रिक नीति, प्रवासी और प्रवासन मुद्दे, 2030 तक सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने का दृष्टिकोण, भारतीय संस्कृति और सतत पर्यटन, शासन के प्रतिमान, डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचार, शहरी शासन और सतत शहर, खाद्य सुरक्षा और कृषि, समग्र स्वास्थ्य सेवा: आयुर्वेद, पीएम गति शक्ति, आपदा प्रबंधन और मानवीय राहत, स्थानीय शासन और विकेंद्रीकरण, प्रशासकों के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता, दृष्टिकोण @2047, जीईएम: सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाना, सुशासन और डिजिटल सार्वजनिक सेवा वितरण आदि। प्रतिभागियों को वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), जिला प्रशासन गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान, भारत के अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान का अध्ययन दौरा और ताजमहल की विरासत यात्रा भी कराई जाएगी।

संपूर्ण क्षमता निर्माण कार्यक्रम की देखरेख डॉ. हिमांशी रस्तोगी, कोर्स कोऑर्डिनेटर और एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. मुकेश भंडारी, एसोसिएट कोर्स कोऑर्डिनेटर और श्री संजय दत्त पंत, प्रोग्राम असिस्टेंट, डॉ. जैद फखर, सलाहकार एनसीजीजी और सुश्री मेघा तोमर, युवा पेशेवर, एनसीजीजी द्वारा की जा रही है, साथ ही एनसीजीजी की संपूर्ण क्षमता निर्माण टीम भी इसमें शामिल है। इस अवसर पर श्रीमती प्रिस्का पॉली मैथ्यू, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी और सलाहकार, एनसीजीजी, डॉ. एपी सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, एनसीजीजी और श्री एसके पांडे, निदेशक, डीएआरपीजी भी मौजूद थे।