गोरखपुर में स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ी कार्रवाई: हृदया और खुशी हॉस्पिटल्स का औचक निरीक्षण, एक अस्पताल सील
संवाददाता- चंद्रप्रकाश मौर्या, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
गोरखपुर के मोतीराम अड्डा क्षेत्र में स्थित हृदया हॉस्पिटल और खुशी हॉस्पिटल पर जनपदीय टीम द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में कई खामियां सामने आई हैं। इस निरीक्षण ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हृदया हॉस्पिटल: निर्माणाधीन, लेकिन तैयारियों में कमी
देवरिया रोड स्थित हृदया हॉस्पिटल, जो अभी निर्माणाधीन अवस्था में है, को निरीक्षण के दौरान कोई भी मरीज भर्ती नहीं मिला। हालाँकि, हॉस्पिटल ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया हुआ है, लेकिन अब तक इसे पंजीकृत नहीं किया गया है। अस्पताल में आधारभूत संरचनाएं तैयार की जा रही थीं, लेकिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दी। स्वास्थ्य विभाग ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बिना पंजीकरण के कोई भी अस्पताल मरीजों का इलाज नहीं कर सकता।
खुशी हॉस्पिटल: अपंजीकृत और अव्यवस्थित सेवाएं
वहीं, झंगहा रोड पर स्थित खुशी हॉस्पिटल की स्थिति और भी गंभीर पाई गई। यह अस्पताल पूरी तरह से अपंजीकृत था, फिर भी तीन मरीज यहां भर्ती पाए गए। इससे स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लापरवाही की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि अस्पताल में कोई अधिकृत चिकित्सक मौजूद नहीं था। केवल पैरामेडिकल स्टाफ अस्पताल में कार्यरत पाया गया, जो मरीजों की देखभाल कर रहा था। इस स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कड़ी कार्रवाई की और अस्पताल को तुरंत प्रभाव से सील कर दिया गया।
अस्पताल सील, संचालन पर सख्त निर्देश
खुशी हॉस्पिटल को सील करने के साथ-साथ उसके संचालन की जिम्मेदारी अस्पताल संचालक को सौंप दी गई है। अस्पताल में पाई गई अनियमितताओं और कानूनी आवश्यकताओं की अनदेखी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कड़े निर्देश जारी किए हैं कि बिना उचित पंजीकरण और लाइसेंस के किसी भी अस्पताल को संचालित नहीं किया जा सकता। मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गोरखपुर ने स्पष्ट किया कि इस तरह की जांचें नियमित रूप से की जाएंगी ताकि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की अनियमितताएं मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, और ऐसे मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल
गोरखपुर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उठे इस मुद्दे ने क्षेत्र की चिकित्सा सेवाओं की स्थिति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या बिना पंजीकरण और उचित व्यवस्थाओं के अस्पताल चलाने का प्रयास उन मरीजों के जीवन से खिलवाड़ नहीं है जो वहां इलाज के लिए आते हैं? यह घटना उन सभी स्वास्थ्य संस्थानों के लिए एक चेतावनी है जो बिना पंजीकरण और आवश्यक संसाधनों के संचालित हो रहे हैं।
जनपदीय टीम की सतर्कता
इस औचक निरीक्षण के दौरान जनपदीय टीम की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि स्वास्थ्य विभाग किसी भी तरह की लापरवाही पर सख्त रुख अपनाएगा। इस कार्रवाई से अन्य निजी स्वास्थ्य संस्थानों को भी सख्त संदेश मिला है कि वे नियमों का पालन करें अन्यथा उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गोरखपुर के नागरिक अब उम्मीद कर रहे हैं कि इस तरह की कार्रवाई से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा और वे बेहतर और सुरक्षित इलाज प्राप्त कर सकेंगे।