निजीकरण के विरोध में गरजा संयुक्त कर्मचारी परिषद: गोरखपुर में बिजली विभाग के आंदोलन को मिला मजबूत समर्थन

“सरकार कर्मचारियों के पेट पर लात मार रही है” — रूपेश कुमार श्रीवास्तव
“निजीकरण कर्मचारियों के लिए जहर समान” — अशोक पांडेय
ब्यूरो प्रमुख- एन. अंसारी, मंडल गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
गोरखपुर, 9 जुलाई | रिपोर्ट विशेष
बिजली विभाग में निजीकरण के खिलाफ प्रदेशव्यापी चल रहे विरोध आंदोलन को आज नया बल मिला जब राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद गोरखपुर ने खुलकर समर्थन देते हुए मुख्य अभियंता कार्यालय पर चल रहे धरने में भागीदारी की।
धरना स्थल पर कर्मचारियों का आक्रोश देखने लायक था। नारों, भाषणों और एकता की हुंकार के साथ कर्मचारी नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर निशाना साधा।
नेतृत्व में शामिल रहे तमाम वरिष्ठ कर्मचारी नेता
धरने की अध्यक्षता इस्माइल खान ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी संदीप ने निभाई।
इस दौरान परिषद के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे:
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रूपेश कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष
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अशोक पांडेय, संरक्षक
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पंडित श्याम नारायण शुक्ल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष
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मदन मुरारी शुक्ल, महामंत्री
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डॉ. एस. के. विश्वकर्मा, संप्रेक्षक
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अनूप कुमार, उपाध्यक्ष
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इंजीनियर सौरभ श्रीवास्तव, अनिल द्विवेदी, राजेश मिश्र, इजहार अली सहित अन्य दर्जनों वरिष्ठ कर्मचारी
क्या बोले कर्मचारी नेता?
अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने गरजते हुए कहा:
“सरकार निजीकरण की आड़ में कर्मचारियों के पेट पर लात मार रही है। इससे न जनता का भला होगा, न देश का। यदि विभाग में खामियां हैं, तो उन्हें मिल-बैठकर ठीक किया जाए, निजीकरण कोई हल नहीं है। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी और कंपनियां जनता को लूटेंगी।”
संरक्षक अशोक पांडेय ने चेतावनी देते हुए कहा:
“निजीकरण कर्मचारियों के लिए धीमा जहर है। इससे हमारी अगली पीढ़ी तक प्रभावित होगी। आज अगर हम नहीं जागे, तो कल शायद आवाज उठाने के लिए कोई बचेगा ही नहीं।”
वरिष्ठ उपाध्यक्ष पंडित श्याम नारायण शुक्ला ने कहा:
“अब वक्त आ गया है कि देश के सभी कर्मचारी संगठनों को एकजुट होकर इस निजीकरण की आग के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए। वरना एक-एक कर सभी विभाग इस लपट में स्वाहा हो जाएंगे।”
महामंत्री मदन मुरारी शुक्ल ने सरकार से अपील करते हुए कहा:
“सरकार को कर्मचारियों से संवाद करना चाहिए, उनकी बातों को समझना चाहिए। संघर्ष की स्थिति किसी के लिए लाभदायक नहीं होती।”
भारी संख्या में कर्मचारी रहे मौजूद
धरने में पुष्पेंद्र जी (कार्यक्रम संयोजक), संदीप संगम मौर्य, प्रमोद श्रीवास्तव समेत हजारों कर्मचारी उपस्थित रहे, जिन्होंने निजीकरण के खिलाफ एक स्वर में विरोध जताया और संघर्ष को जारी रखने की प्रतिबद्धता दिखाई।
बिजली विभाग का निजीकरण अब केवल एक विभागीय मामला नहीं, बल्कि यह कर्मचारियों के अस्तित्व, अधिकार और भविष्य का सवाल बन चुका है। गोरखपुर में जो चिंगारी जली है, वह जल्द ही एक प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप ले सकती है। सवाल केवल बिजली विभाग का नहीं है — यह पूरे सरकारी तंत्र के भविष्य का मामला बनता जा रहा है।