युवती ने थाने में लगाई खुद को आग, फरियादी ने बचाई जान

युवती ने थाने में लगाई खुद को आग, फरियादी ने बचाई जान

 संवाददाता- कौस्तुभ तिवारी, गोला, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

थाने में इंसाफ की आस लिए बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद न्याय न मिलने पर गोला क्षेत्र की एक युवती ने हताश होकर ऐसा कदम उठाया जिसे देखकर पुलिसकर्मियों और फरियादियों के बीच हड़कंप मच गया। थाने के भीतर घटी इस सनसनीखेज घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। युवती ने अपने ऊपर तेल डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया, लेकिन एक अन्य फरियादी ने साहस दिखाते हुए उसकी जान बचा ली।

तीन साल से जारी थी पीड़ा, शादी का झांसा देकर होता रहा दुष्कर्म

गोला के एक छोटे से गांव की इस युवती की कहानी दिल दहला देने वाली है। तीन वर्षों से एक युवक ने उसे शादी का सपना दिखाकर उसकी आबरू से खिलवाड़ किया। जब युवती ने उससे अपने अधिकारों और वादों के बारे में सवाल उठाए, तो उसे धोखे और झूठ का सामना करना पड़ा। अंततः युवती ने अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया और गोला थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए कई बार चक्कर लगाए।

लेकिन, शायद क़ानूनी प्रक्रिया की धीमी गति और प्रशासन की बेरुखी ने उसकी आशाओं को बुरी तरह तोड़ दिया। थाने में उसकी शिकायत पर ध्यान न दिए जाने के बाद, उसकी निराशा इस कदर बढ़ी कि उसने आत्मदाह का भयावह कदम उठाने का निर्णय कर लिया।

 थाने में मची अफरा-तफरी

युवती ने थाने के अंदर ही अपने ऊपर तेल डाल लिया और जैसे ही वह माचिस जलाने की कोशिश कर रही थी, वहां मौजूद एक अन्य फरियादी ने फुर्ती दिखाते हुए उसके हाथ से माचिस छीन ली। इस दृश्य ने थाने में मौजूद सभी लोगों को स्तब्ध कर दिया। पुलिसकर्मी भी तत्काल हरकत में आए और युवती को सुरक्षित पकड़कर थाने के अंदर ले गए। मौके पर मौजूद हर शख्स की सांसें थम गई थीं, लेकिन फरियादी की त्वरित प्रतिक्रिया ने युवती की जान बचा ली।

एसपी ने दिलाया न्याय का भरोसा

घटना की सूचना मिलते ही एसपी जितेन्द्र कुमार खुद मौके पर पहुंचे और युवती से घटना के बारे में विस्तार से पूछताछ की। उन्होंने युवती को हर संभव न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और मामले की जांच तेज़ी से करने का वादा किया। एसपी का यह आश्वासन पुलिस और प्रशासन में लोगों के विश्वास को दोबारा स्थापित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

पंचायत में आबरू की लगी कीमत

युवती के साथ हुई इस दर्दनाक घटना का एक और पहलू तब सामने आया जब पता चला कि पंचायत में उसकी आबरू की कीमत महज पाँच लाख रुपये लगाई गई थी। इस अमानवीय निर्णय ने समाज की सोच और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या एक महिला की इज़्ज़त की कीमत कुछ पैसों में तय की जा सकती है? इस घटना ने न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि समाज की सोच पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

न्याय की आस में जूझती महिला

यह घटना सिर्फ एक युवती की कहानी नहीं है, बल्कि उस पूरे समाज की सच्चाई बयां करती है जहाँ महिलाओं को न्याय पाने के लिए अपनी ज़िंदगी तक दांव पर लगानी पड़ती है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन अपने वादों पर खरा उतरता है और पीड़ित को न्याय दिला पाता है, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह न्याय की फाइलों में कहीं गुम हो जाएगा।