गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष

गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं
गुरु वह दीप हैं, जो अज्ञान के अंधकार को चीरकर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं।
आज आषाढ़ी पूर्णिमा के पावन अवसर पर, पूज्य भन्ते श्राद्धेय चन्द्रमा थेरो जी के सान्निध्य में सारनाथ, वाराणसी में आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव को पूरे 10 दिन पूर्ण हो चुके हैं, परंतु उस क्षण की दिव्यता, साधना और प्रेरणा आज भी मन में उतनी ही ताजा है।
यह पर्व केवल श्रद्धा का नहीं, आत्मबोध और मार्गदर्शन का उत्सव है।
गुरु की कृपा से ही आत्मा को दिशा और जीवन को उद्देश्य प्राप्त होता है।
सभी गुरुओं के चरणों में कोटिशः वंदन।
आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं।
गुरु की छाया में जीवन पथ आलोकित हो — यही प्रार्थना है।
"जहाँ गुरु का वास होता है, वहाँ ही सच्चे ज्ञान और शांति का विकास होता है..