गोरखपुर न्यायालय में हंगामा: अधिवक्ता पर हमले का मामला, पुलिस पर पक्षपात का आरोप, अधिवक्ताओं का उग्र प्रदर्शन

गोरखपुर न्यायालय में हंगामा: अधिवक्ता पर हमले का मामला, पुलिस पर पक्षपात का आरोप, अधिवक्ताओं का उग्र प्रदर्शन

संवाददाता- चंद्रप्रकाश मौर्य, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश


गोरखपुर: अधिवक्ता पर हमले के बाद थाने में लीपापोती, विरोध में गूंजा अधिवक्ताओं का स्वर

गोरखपुर के दीवानी न्यायालय परिसर में 21 नवंबर 2024 को उस समय तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब कुछ मुवक्किलों ने अधिवक्ता रविन्द्र धर दुबे के साथ विवाद कर लिया। मामला गंभीर तब हो गया जब अधिवक्ता पर हमले की रिपोर्ट भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (जान से मारने की कोशिश) जैसी संगीन धाराओं में दर्ज की गई।

अधिवक्ताओं का आरोप: अपराधी थाने से ही रिहा

मामले ने नया मोड़ तब लिया, जब आरोपियों को थाने से ही रिहा कर दिया गया। अधिवक्ताओं ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कैंट थाना पुलिस ने आरोपियों को बचाने का प्रयास किया। यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

अधिवक्ताओं का प्रदर्शन: जुलूस और ज्ञापन सौंपा

इस घटनाक्रम से नाराज अधिवक्ताओं ने न्याय की मांग को लेकर विरोध का रास्ता अपनाया। अधिवक्ताओं ने न्यायालय से जुलूस निकालते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने एसपी सिटी अभिनव त्यागी को ज्ञापन सौंपते हुए कैंट थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित करने की मांग की।

अधिवक्ताओं की मांग: निष्पक्ष कार्रवाई हो

ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने स्पष्ट किया कि आरोपी की रिहाई न केवल न्यायिक प्रक्रिया का अपमान है, बल्कि यह प्रशासन की उदासीनता का भी प्रमाण है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।

पुलिस की चुप्पी और अधिवक्ताओं का आक्रोश

हालांकि, पुलिस प्रशासन इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है। लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि इस घटना ने न्यायपालिका की गरिमा और सुरक्षा पर गंभीर प्रहार किया है।


यह घटना पुलिस और न्यायपालिका के बीच समन्वय की कमी और प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है। क्या आरोपियों की रिहाई से जुड़े तथ्यों की निष्पक्ष जांच होगी? या यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह अनसुना रह जाएगा?

गोरखपुर की जनता और अधिवक्ता समुदाय अब इस मामले में न्याय की उम्मीद लगाए हुए हैं। यह देखना होगा कि क्या पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाएगा या फिर अधिवक्ताओं का संघर्ष और तेज होगा।

"न्याय के लिए उठे स्वर अब रुकने वाले नहीं!"